गर्म इलाकों में पैदा होंगी सेब की ये 2 नई किस्में, मैदानी क्षेत्रों में बंपर उत्पादन हासिल कर पाएंगे किसान 

गर्म इलाकों में पैदा होंगी सेब की ये 2 नई किस्में, मैदानी क्षेत्रों में बंपर उत्पादन हासिल कर पाएंगे किसान 

मैदानी क्षेत्रों में भी सेब की खेती के लिए दो किस्मों को विकसित किया गया है. जलवायु बदलावों के चलते हिमाचल और जम्मू कश्मीर में सेब की पैदावार में गिरावट दर्ज की गई है, जिसके बाद वैज्ञानिकों ने गर्म जलवायु झेल पाने वाली किस्मों की जरूरत को देखते हुए कई किस्मों पर काम शुरू किया था. 

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गर्म इलाकों में पैदा होंगी सेब की ये 2 नई किस्में, मैदानी क्षेत्रों में बंपर उत्पादन हासिल कर पाएंगे किसान सेब की नई किस्में गर्म और मैदानी इलाकों में भी बंपर पैदावार देने में सक्षम हैं.

आमतौर पर ठंडे और पहाड़ी इलाकों में सेब की खेती की जाती है, लेकिन भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR-IIFSR) के वैज्ञानिकों ने सेब की ऐसी 2 किस्में विकसित की हैं, जो गर्म और मैदानी इलाकों में भी बंपर पैदावार देने में सक्षम हैं. इन दोनों किस्मों की खेती उत्तर भारत के गर्म जलवायु वाले इलाकों में भी सफलतापूर्वक किए जाने का दावा किया गया है. वैज्ञानिकों ने कम ठंडे इलाकों में भी अच्छी उपज देने वाली इन दोनों किस्मों का नाम अन्ना सेब और डॉर्सेट गोल्डन सेब रखा है. इन दोनों किस्मों को 4 साल की रिसर्च के बाद विकसित किया जा सका है. 

मैदानी क्षेत्रों में सेब की बागवानी के लिए भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान (ICAR-IIFSR) मोदीपुरम मेरठ ने सेब की फसल को मैदानी क्षेत्रों में लोकप्रिय बनाने के लिए दो सेब की किस्मों को विकसित किया है. इन किस्मों को विकसित करने के साथ ही यह भ्रांति टूट गई कि सेब की बागवानी गर्म जलवायु क्षेत्रों में नहीं की जा सकती है. बता दें कि जलवायु बदलावों के चलते हिमाचल और जम्मू कश्मीर में सेब की पैदावार में गिरावट दर्ज की गई है. जिसके बाद वैज्ञानिकों ने गर्म जलवायु झेल पाने वाली किस्मों की जरूरत को देखते हुए कई किस्मों पर काम शुरू किया था. 

अन्ना सेब की किस्म 

सेब की अन्ना किस्म गर्म जलवायु में अच्छी तरह से विकसित होने में सक्षम है. अन्ना किस्म का सेब बहुत जल्दी पककर तैयार हो जाता है. पहाड़ी इलाकों में होने वाली सेब की किस्मों फूल और फल लगने में कम से कम 450-500 घंटे लगते हैं. अन्ना सेब किस्म के फल जून माह में बढ़े हो जाते हैं. इस किस्म के फल देखने में गोल्डन डिलीशियस जैसे लगते हैं. यह तेज और अधिक फल देने वाली किस्म है. 

डार्सेट गोल्डन सेब की किस्म 

डार्सेट गोल्डन किस्म के सेब के पौधे में अधि फूल लगते हैं, जिससे फलों की संख्या भी अधिक हो जाती है. डार्सेट गोल्डन सेब की ऐसी किस्म है जो गर्म क्षेत्रों के लिए विकसित की गई है. अन्ना किस्म की सफल बागवानी में यदि पौधों की उचित दूरी का पालन करते हुए 20 फीसदी पौधे डार्सेट गोल्डन किस्म के लगाए जाएं तो रिजल्ट अच्छा मिलेगा. 

कीट और रोग से फसल का बचाव 

इन दोनों किस्म के अलावा अन्य सेब किस्मों की फसल को अगस्त-सितम्बर में हेयर कैटर पिलर कीट का खतरा रहता है. इसके बचाव के लिए डाइमेथोएट-2 मिली. प्रति लीटर की दर से छिड़काव करना होगा. जुलाई के समय बरसात के साथ कुछ फलों में सड़न की समस्या दिखाई पड़ती है, जिसके उपचार के लिए किसी भी फफूंदीनाशक  कार्वेन्डाजिम या थियोफेनेट मिथाइल का 0.1 फीसदी की दर से छिड़काव किया जा सकता है. 

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