भारतीय अनार की प्रीमियम किस्म भगवा और सांगोला का मजा ऑस्ट्रेलियाई ग्राहक चखेंगे. कृषि और प्रसंस्करण खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) पहली बार ऑस्ट्रेलिया को भारतीय अनार की समुद्री खेप भेजी है. दो बार में 3700 बक्सों में 12 मीट्रिक टन से अधिक अनार फसल को निर्यात किया गया है. बता दें कि इससे पहले जुलाई 2024 में अनार की हवाई खेप भेजी गई थी. भारतीय अनार की लोकप्रियता को देखते हुए वहां से मांग बढ़ी है. अनार की मजबूत मांग के चलते पहले से ही अतिरिक्त शिपमेंट के लिए तत्काल अनुरोध किए गए हैं.
भारत से ताजे फल, सब्जियां, बासमती चावल और प्रॉसेस्ड फूड आदि के निर्यात के लिए एपीडा जिम्मेदार संस्थान है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार कृषि और प्रसंस्करण खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने एग्री प्रोडक्ट बिक्री करने वाली कंपनी एग्रोस्टार और केबी एक्सपोर्ट्स के साथ मिलकर समुद्र के रास्ते ऑस्ट्रेलिया को अनार की प्रीमियम किस्म सांगोला और भगवा की पहली वाणिज्यिक परीक्षण शिपमेंट सफलतापूर्वक पूरी की है.
भारतीय अनार की पहली समुद्री शिपमेंट 6 दिसंबर 2024 को रवाना हुई थी और 13 जनवरी 2025 को सिडनी पहुंची. इस शिपमेंट में महाराष्ट्र के सोलापुर क्षेत्र से खरीदे गए 5.7 मीट्रिक टन अनार थे, जिन्हें 1900 बक्सों में पैक किया गया था. हर बक्से में 3 किलोग्राम प्रीमियम फल थे. भगवा किस्म के 1872 बक्सों में 6.56 टन ले जाने वाला एक और समुद्री शिपमेंट 6 जनवरी 2025 को ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन भेजा गया था जो अब पहुंच चुका है.
एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने कहा कि भारत का कृषि निर्यात तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें ताजे फलों का निर्यात साल दर साल 29 फीसदी बढ़ रहा है. अकेले अनार में 20 फीसदी की वृद्धि देखी गई है. उन्होंने कहा कि भारतीय किसानों के लिए बाजार तक पहुंच सुनिश्चित करने और उसे सुविधाजनक बनाने में एपीडा की भूमिका पर कहा कि हम नए और उभरते बाजारों में विस्तार करके भारतीय किसानों और कृषि उद्यमियों का समर्थन कर रहे हैं.
भारतीय अनार की लोकप्रियता को देखते हुए वहां से मांग बढ़ी है. अनार की मजबूत मांग के चलते पहले से ही अतिरिक्त शिपमेंट के लिए तत्काल अनुरोध किए गए हैं. सितंबर में शुरू होने वाले अगले निर्यात सीजन के साथ एग्रोस्टार के आईएनआई फार्म्स, केबी एक्सपोर्ट्स समेत अन्य निर्यातक कंपनियों ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं. इससे अनार उत्पादकों और किसानों को अच्छी कीमत मिलने का रास्ता साफ हुआ है, बल्कि कटाई के बाद स्टोरेज करने पर फल की क्वालिटी में गिरावट की आशंका भी दूर होगी.
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