किसानों की आखिरकार जीत हुई है. टोंक जिले के किसानों को अब 18 नवंबर से बीसलपुर बांध का पानी सिंचाई के लिए मिलने लगेगा. किसान इसके लिए बीते महीने से आंदोलन कर रहे थे. लंबी बातचीत के बाद प्रशासन ने 19 नवंबर को बांध से पानी छोड़ने की बात कही थी, लेकिन किसानों की मांग पर अब 18 को पानी छोड़ा जाएगा. टोंक जिले में किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद चौधरी ने किसान तक को बताया कि किसान बीसलपुर बांध से पानी छोड़ने के लिए 25 अक्टूबर से आंदोलन कर रहे हैं. कलेक्टर ओमप्रकाश बैरवा ने आश्वासन दिया है कि 18 नवंबर तक नहरों में हो रही टूट-फूट और माइनरों की रिपेयरिंग का काम पूरा कर लिया जाएगा.
रिपेयरिंग के बाद किसानों की रबी सीजन की सिंचाई के लिए पानी मिल जाएगा. कलेक्टर ने कहा है कि जहां-जहां पर पानी को किसानों द्वारा अवस्थित, अवरोध उत्पन्न किया जाएगा वहां पर पुलिस चौकी में बिठा दी जाएगी.
चौधरी बताते हैं कि जिला कलेक्टर की ओर से छह नवंबर को अतिरिक्त प्रमुख शासन सचिव जल संसाधन विभाग को पत्र लिखा गया कि सिंचाई विभाग द्वारा सिंचित 81,800 हेक्टेयर जमीन को सिंचाई कराने की बात भी नहीं उठाई गई है. अभी बीसलपुर बांध में 26.63 टीएमसी पानी उपलब्ध है, लेकिन फिर भी किसानों को चार टीएमसी पानी नहीं छोड़ा जा रहा.
सिंचाई विभाग की लापरवाही के चलते लगभग 10 हजार हेक्टेयर भूमि कमांड इलाके खत्म होने जा रहे हैं, लेकिन सिंचाई विभाग इसे लेकर लापरवाह है.
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बीसलपुर बांध से पानी छोड़ने की मांग को लेकर टोंक जिले के किसानों का 25 अक्टूबर से आंदोलन चल रहा था. चौधरी बताते हैं कि 23 अक्टूबर को टोंक जिला कलेक्टर और अन्य अधिकारियों के साथ मीटिंग हुई थी, जिसमें प्रशासन ने पानी छोड़ने से मना कर दिया था. इसके बाद किसानों ने 25 अक्टूबर से आंदोलन चालू कर दिया.
इस आंदोलन में 256 गांवों के किसान एकजुट हो गए. टोंक की कृषि उपज मंडी में यह धरना दिया गया. तीन दौर के बातचीत के बाद नौ नवंबर को किसानों ने पैदल मार्च शुरू कर दिया. इसके बाद प्रशासन ने किसान प्रतिनिधियों से बात की और 1.56 टीएमसी पानी छोड़ने पर सहमति बनी.
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राजस्थान सहित पूरे देश में रबी की बुवाई लगभग खत्म हो गई है. ऐसे में सरसों जैसी फसल को पानी की सख्त जरूरत है. मावठ भी नहीं हुई है. इसीलिए किसानों को सिंचाई के लिए पानी चाहिए था.
प्रशासन ने बांध में पानी होने के बावजूद जब मना कर दिया तो किसानों को आंदोलन की राह पर आना पड़ा. बता दें कि इस साल प्रदेशभर में सरसों की बुवाई लक्ष्य से काफी कम हुई है. प्रदेशभर में 41 लाख हेक्टेयर सरसों बुवाई लक्ष्य था. जबकि बुवाई सिर्फ 30 लाख हेक्टेयर में ही हुई है.
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