पूरे उत्तर भारत के किसान हताश-परेशान हैं. वजह है फसलों का मारा जाना. इस बार किसानों ने नए तरह की मुसीबत झेली है. ये मुसीबत प्राकृतिक आपदा से जुड़ी है. इसी आपदा में बेमौसम बारिश, तेज हवा और ओलावृष्टि शामिल है. इस तरह की आपदा ने किसानों का भारी नुकसान पहुंचाया है. किसानों की जो फसल कटकर खलिहान या मंडियों में जानी चाहिए थी. अब वो फसल बर्बादी के आंसू रो रही है. हालात कुछ सुधरते कि उससे पहले ही मौसम विभाग की एक भविष्यवाणी ने चिंता बढ़ा दी है. मौसम विभाग का कहना है कि अगले एक हफ्ते तक बारिश और बूंदाबांदी के आसार रहेंगे. यानी मान कर चलें कि गेहूं और सब्जियों की फसलों के लिए आगे एक हफ्ता और भी परेशानी भरा रहने वाला है.
अकेले पंजाब के किसानों ने रबी सीजन के दौरान 34.9 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं बोया था, जिसमें से प्राकृतिक आपदाओं ने 14 लाख हेक्टेयर से अधिक की फसल को नुकसान पहुंचाया है. नुकसान की यह मात्रा कुल उपज का 40 प्रतिशत है. स्पष्ट शब्दों में कहें तो इस बार 40 फीसद तक पैदावार गिर गई है. 'इंडिया टुडे टेलीविजन' ने मोहाली और डेरा बस्सी इलाके के कई किसानों से बात की जिन्होंने दावा किया कि वे पिछले सीजन की उपज का आधा ही काट पाए हैं.
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डेरा बस्सी के किसान हरप्रीत सिंह ने इस बार 15 एकड़ में गेहूं बोया था. इस बार पिछले साल 20 क्विंटल की फसल की तुलना में उन्हें प्रति एकड़ केवल 10 क्विंटल ही उपज मिली. अब मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया है जिसने किसानों को चिंतित कर दिया है. किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपनी फसल को ढक कर रखें. जिन किसानों ने देर से पकने वाली किस्मों की बुवाई की थी, उन्होंने कटाई टाल दी है क्योंकि बारिश से अनाज को और नुकसान होगा.
किसान हरप्रीत सिंह करते हैं, "गर्मी, बारिश और तेज हवा के तूफान ने फसल को चौपट कर दिया और अनाज के आकार को प्रभावित किया है. अनाज सूख गया और रंग बदल गया है. हमें मजदूरी और कटाई पर दोगुनी राशि खर्च करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. इस मौसम में सामान्य तौर पर 1000 रुपये प्रति एकड़ के मुकाबले हमने 2500 रुपये का भुगतान किया है.
इसी मुद्दे पर 60 साल के सुरमुख सिंह का कहना है कि उन्हें आश्वासन दिया गया था कि खराब फसल का मुआवजा 24 घंटे के भीतर दिया जाएगा, लेकिन पिछले एक महीने से अभी तक मुआवजा नहीं मिला है. किसान सुरमुख सिंह ने 10 एकड़ में गेहूं बोया था और वे पांच सदस्यों के परिवार को चलाते हैं. मोहाली के एक अन्य किसान करणजोत सिंह का कहना है कि खराब मौसम ने उनकी आधी से अधिक फसल को नुकसान पहुंचाया है. राजस्व विभाग के अधिकारियों ने एक सर्वेक्षण किया है लेकिन मुआवजे के चेक अभी तक जारी नहीं किए गए हैं.
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न केवल गेहूं की फसल बल्कि सब्जी, तरबूज और खरबूज के किसानों को भी नुकसान झेलना पड़ा है. इस तरह की फसलें बारिश और बढ़ते तापमान से बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. डेरे जगाधरी गांव के अमरजीत सिंह का कहना है कि राज्य सरकार ने इन किसानों के लिए किसी भी मुआवजे की घोषणा नहीं की है.
यह लगातार दूसरा रबी सीजन है, जब गेहूं की पैदावार प्रभावित हुई है. पिछले साल अनुमानित तौर पर 15 प्रतिशत उपज खराब हो गई थी, जिससे गेहूं उत्पादकों को 6000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. पंजाब के कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य में कुल पैदावार में 15 से 20 फीसद की गिरावट आएगी. इस सीजन में गेहूं का उत्पादन 170 से 175 लाख टन होने की उम्मीद थी, लेकिन यह घटकर 145 से 150 लाख टन तक चला जाएगा. अनाज की क्वालिटी पर भी असर पड़ा है.
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