पंजाब में बाढ़ से करीब 2 लाख हेक्टेयर धान की फसल चौपट होने के बावजूद इस बार चावल उत्पादन में बड़ी गिरावट की आशंका नहीं है. राज्य के अधिकारियों का कहना है कि गैर-प्रभावित इलाकों में पैदावार बेहतर रहने की उम्मीद है. पिछले साल पंजाब ने बासमती समेत 143.6 लाख टन चावल का उत्पादन किया था. जानकारी के मुताबिक, बाढ़ का असर ज्यादातर साधारण धान पर पड़ा है. क्योंकि, यह फसल नदियों के आसपास बोई जाती है. वहीं, बासमती की खेती अपेक्षाकृत सुरक्षित रही. प्रभावित खेतों में रबी सीजन की तैयारी के लिए पंजाब सरकार ने केंद्र से मदद मांगी है.
देशभर में खरीफ सीजन की 463.5 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य रखा गया है. इसमें पंजाब की भूमिका अहम है, क्योंकि अकेले यह राज्य सबसे ज्यादा योगदान देता है. 2024 की खरीफ खरीद में सरकार ने 511.6 लाख टन का लक्ष्य रखा था, जिसके मुकाबले 474 लाख टन खरीदा गया था. इसमें पंजाब से 116.1 लाख टन की आवक हुई, जबकि उत्तर प्रदेश ने 38.7 लाख टन, पश्चिम बंगाल ने 19.9 लाख टन, छत्तीसगढ़ ने 78 लाख टन और मध्य प्रदेश ने 29.2 लाख टन का योगदान दिया था.
‘बिजनेसलाइन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल 5 सितंबर तक पंजाब में 32.49 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई है, जो पिछले साल से थोड़ी ज्यादा है. कुल रकबा 35.52 लाख हेक्टेयर रहा. प्रदेश में धान सबसे पसंदीदा फसल है, क्योंकि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 100 प्रतिशत खरीद सुनिश्चित करती है.
एक अधिकारी ने कहा कि किसान तभी धान छोड़कर किसी अन्य फसल की ओर जाएंगे जब सरकार उन्हें समान लाभ दे. अभी उन्हें विविधीकरण के लिए सिर्फ 17 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर मिलते हैं, जबकि धान की औसत पैदावार 44.28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. मौजूदा MSP 2,320 रुपये प्रति क्विंटल पर किसान एक हेक्टेयर से एक लाख रुपये से ज्यादा कमा रहे हैं.
हालांकि केंद्र सरकार लगातार धान की खरीद घटाने की कोशिश कर रही है, क्योंकि घरेलू जरूरत (लगभग 410 लाख टन सालाना) पूरी करने के बाद अतिरिक्त अनाज बेचने में मुश्किल आ रही है. फिलहाल भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास 1 सितंबर तक 369.1 लाख टन चावल और 169 लाख टन धान का भंडार है, इस धान से 113.2 करोड़ टन चावल निकलेगा. यानी कुल मिलाकर देश में 482.3 लाख टन चावल का स्टॉक मौजूद है, जो सालभर की जरूरत से ज्यादा है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today