पंजाब में संगरूर के किसान आजकल बहुत परेशान हैं. यह परेशानी पिछले कई दिनों से चली आ रही है. पहले तो उन्हें भारी बारिश और उससे उपजी बाढ़ से जूझना पड़ा. अब इसमें सुधार हुआ तो किसानों के सामने यूरिया खाद की किल्लत बड़ी समस्या बन गई है. किसान खाद के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं क्योंकि उन्हें अपनी फसलों में छिड़काव करना है. लेकिन सप्लाई में बहुत ढिलाई है. इसी के साथ स्थानीय प्रशासन के दावे भी हवा-हवाई साबित हुए हैं जिसमें कहा गया है कि बाढ़ प्रभावित किसानों को हर तरह की सहायता की जा रही है. मगर सच्चाई है कि संगरूर के मुनक इलाके में किसान यूरिया खाद के लिए भागे-भागे फिर रहे हैं.
संगरूर के मुनक इलाके के कई किसानों का तो यहां तक कहना है कि उन्हें बाजार से बेहद ऊंचे दामों पर यूरिया की खरीद करनी पड़ रही है. जिन किसानों के पास पैसा है, उन्होंने तो प्राइवेट में बाहर से यूरिया की खरीद कर ली. लेकिन जो किसान बदहाली में हैं, उनकी हालत और भी दयनीय हो गई है. इन किसानों का कहना है कि पहले तो बाढ़ ने धान को बर्बाद कर दिया. अब दोबारा धान की रोपनी करनी है तो खाद ही नहीं मिल रही.
भारतीय किसान संघ यानी कि BKU (उग्राहां) के नेता रिंकू मुनक ने 'दि ट्रिब्यून' से कहा कि अधिकारियों के सारे दावों की पोल खुल गई है क्योंकि किसानों के सामने यूरिया का भारी संकट पैदा हो गया है. अपनी समस्या को दूर करने के लिए किसानों ने अधिकारियों से भेंट की, लेकिन सब व्यर्थ रहा. अब सरकार को इसमें आगे आना चाहिए और किसानों की खाद की समस्या सुलझानी चाहिए.
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किसानों का कहना है कि प्रति एकड़ उन्हें तीन-चार बोरी यूरिया की जरूरत पड़ रही है जिसे धान की नई फसल में इस्तेमाल करना है. किसानों का आरोप है सरकार ने यूरिया की बोरी की कीमत 267 रुपये निर्धारित की है, लेकिन मुनक में कई जगह इसी यूरिया को 300 रुपये में बेचा जा रहा है. हालात ये है कि भारी कालाबाजारी की जानकारी मिलने के बाद भी संबंधित अधिकारी दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे है.
किसान गुरनाम सिंह कहते हैं, अधिकारी अगर प्रभावित किसानों से मिलें तो उन्हें किसानों की दुर्दशा का पता चलेगा. अधिकारियों को पता चलेगा कि किसान किस परिस्थिति से गुजर रहे हैं.
संगरूर के मुनक में यूरिया की सप्लाई का जिम्मा मुनक सोसायटी के पास है. इस सोसायटी के अंतर्गत 5200 एकड़ खेत आते हैं और इसमें मुनक के 1500 किसान सदस्य हैं. ये किसान मुनक, सुरजन भैनी, भुंदर भैनी, गोविंदपुरा और पापड़ा गांव के हैं. सोसायटी के सचिव बिक्रम सिंह ने कहा कि पिछले महीने उन्होंने यूरिया की 6000 बोरी की मांग की थी. लेकिन उसके बदले 2250 बोरियां ही मिलीं. यही वजह है कि कई किसानों को सोसायटी से लौटकर जाना पड़ रहा है. बिक्रम सिंह कहते हैं कि उन्होंने अधिक से अधिक बोरियों के लिए पत्र लिखा है.
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