पंजाब के कई इलाकों में धान की दोबारा रोपाई हो रही है. पहली बार रोपी गई धान की फसल बाढ़ में डूब गई. इसके बाद किसानों ने इसे दोबारा रोपना शुरू किया है. इससे बिजली की मांग बहुत अधिक बढ़ गई है. पिछले हफ्ते बिजली की मांग 15,000 मेगावॉट तक पहुंच गई. सोमवार को पटियाला में बिजली की मांग 14377 मेगावॉट थी जबकि रविवार को 3167 लाख यूनिट बिजली की सप्लाई की गई.
पंजाब स्टेट पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 2.40 रुपये के एवरेज रेट पर 82.44 लाख यूनिट बिजली की खरीद की है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को थर्मल प्लांट से 280 लाख यूनिट की बिजली सप्लाई हुई. एक्सपर्ट बताते हैं कि पिछले साल बिजली की अत्यधिक सप्लाई 12000 मेगावॉट से अधिक थी जबकि इस साल धान की दोबारा रोपाई के चलते यह मांग 15000 मेगावॉट को पार कर गई है.
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के प्रवक्ता वीके गुप्ता कहते हैं, 'पिछले साल बारिश कम हुई थी लेकिन अगस्त तक धान की फसल सही थी. हालांकि, बाढ़ प्रभावित किसान अभी भी धान की दोबारा बुआई कर रहे हैं. चूंकि फसल को नियमित रूप से सिंचाई की जरूरत होती है, इसलिए किसान ट्यूबवेल का उपयोग कर रहे हैं.''
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एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि उनके पास रोपड़ में 31 दिनों के लिए और लहरा मोहब्बत में 27 दिनों के लिए कोयले का स्टॉक है. राजपुरा और तलवंडी साबो में निजी प्लांटों के पास क्रमशः 28 और छह दिनों का कोयला भंडार है. गोइंदवाल साहिब स्थित जीवीके प्लांट में सिर्फ तीन दिन का स्टॉक बचा है.
23 जून को पीएसपीसीएल ने 15,325 मेगावॉट की अधिकतम बिजली मांग का नया रिकॉर्ड बनाया. पिछले साल बिजली की अधिकतम मांग 14,311 मेगावॉट थी. पीएसपीसीएल के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि धान के मौसम के दौरान राज्य के पास कोयले का इतना भंडार कभी नहीं था. उन्होंने कहा, "पीएसपीसीएल घरेलू, कॉमर्शियल और इंडस्ट्रियल उपभोक्ताओं पर कोई बिजली कटौती किए बिना किसानों को आठ घंटे से अधिक बिजली की आपूर्ति कर रहा है."
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पीएसपीसीएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बलदेव सिंह सरन ने 'दि ट्रिब्यून' से कहा, “जुलाई के दौरान, पीएसपीसीएल ने पिछले साल की तुलना में तीन प्रतिशत अधिक बिजली की आपूर्ति की. अगस्त के पहले सप्ताह में मांग पिछले वर्ष की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक है, जिसे हमने सफलतापूर्वक पूरा किया है.'' पीएसपीसीएल के पास 15,000 मेगावॉट से अधिक की मांग को पूरा करने की व्यवस्था है.
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