Monsoon 2023: क्या अब चीनी के भी बढ़ेंगे दाम? गन्ने की खेती पर मंडराया संकट, पढ़ें इन 2 राज्यों से आ रही ये रिपोर्ट

Monsoon 2023: क्या अब चीनी के भी बढ़ेंगे दाम? गन्ने की खेती पर मंडराया संकट, पढ़ें इन 2 राज्यों से आ रही ये रिपोर्ट

महाराष्ट्र और कर्नाटक में बड़े पैमाने पर चीनी का उत्पादन होता है. लेकिन इन दोनों राज्यों में इस बार बारिश कम हुई है. इससे गन्ने के पौधों को सिंचाई का पानी कम मिला है जिससे उनकी वृद्धि प्रभावित हुई है. आने वाले दिनों में गन्ने का उत्पादन तो कम होगा ही, उससे निकलने वाली चीनी भी कम होगी.

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Monsoon 2023: क्या अब चीनी के भी बढ़ेंगे दाम? गन्ने की खेती पर मंडराया संकट, पढ़ें इन 2 राज्यों से आ रही ये रिपोर्टइस साल चीनी और गन्ने का उत्पादन घट सकता है (फोटो साभार-India Today/PTI)

इस बार देश के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में बारिश की कमी का असर बहुत भारी पड़ेगा. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पौधों की वृद्धि के बीच बारिश की मात्रा घट गई. इससे गन्ने का उत्पादन तो घटेगा ही, उससे निकलने वाली चीनी भी बेहद कम हो जाएगी. यहां बात हो रही है महाराष्ट्र के सतारा, सांगली और सोलापुर जैसे इलाकों की जो गन्ना उत्पादन के प्रमुख बेल्ट हैं. महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटक में भी बड़े पैमाने पर गन्ने का उत्पादन होता है. लेकिन यहां भी बारिश कम हुई है. महाराष्ट्र और कर्नाटक को मिला दें तो देश का आधे से अधिक गन्ना इन्हीं दोनों राज्यों से आता है. लेकिन इन दोनों राज्यों में इस बार बारिश कम है. ऐसे में यह आशंका प्रबल हो गई है कि देश से चीनी का निर्यात इस बार घट सकता है. 

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है. अगर यहां से निर्यात घटता है तो चीनी की वैश्विक कीमतें तेजी से बढ़ सकती हैं क्योंकि सप्लाई में बड़ी आएगी. महाराष्ट्र के सतारा के एक किसान भरत संकपाल 'रॉयटर्स' से कहते हैं, गन्ने को अधिक बारिश का पानी चाहिए, वह भी जून से लेकर सितंबर तक. लेकिन इस बार गन्ने का बढ़वार रुक गया है क्योंकि बारिश कम हुई है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मॉनसून सीजन में महाराष्ट्र के प्रमुख गन्ना उत्पादक जिलों में 71 फीसद कम बारिश हुई है. आपको बता दें, महाराष्ट्र देश का नंबर एक चीनी उत्पादक राज्य है.

महाराष्ट्र में गन्ने का उत्पादन

महाराष्ट्र के पड़ोसी राज्य कर्नाटक में भी बारिश का यही हाल है. चीनी के उत्पादन में देश में इस राज्य का तीसरा स्थान है. लेकिन यहां के प्रमुख गन्ना उत्पादक जिलों में 55 फीसद कम बारिश दर्ज की गई है. ऐसे में यहां भी गन्ना और चीनी के उत्पादन में भारी गिरावट देखी जाएगी. 

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महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में गन्ने की खेती करने वाले किसान श्रीकांत इंगले कहते हैं, पिछले साल गन्ने का उत्पादन इसलिए घट गया क्योंकि जून-जुलाई में बारिश कम हुई. ठीक उसी तरह का मौसम इस बार भी देखने में आ रहा है. पिछले साल (30 सितंबर के अंत तक) महाराष्ट्र में 13.8 मिलियन टन चीनी उत्पादन का अनुमान था, लेकिन यह घटकर 10.5 मिलियन मीट्रिक टन रह गया क्योंकि बारिश की कमी से गन्ने की पैदावार घट गई.

उम्मीदों पर फिरा पानी

इस साल चीनी का उत्पादन कुछ बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन मॉनसून की धीमी चाल ने उस पर पानी फेर दिया है. आगे इसमें किसी तरह के सुधार की कोई गुंजाइश नहीं दिखती. वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बीबी थोंबरे कहते हैं, इतना तो तय है कि आने वाले सीजन में गन्ना और चीनी के उत्पादन में कमी आएगी, मगर यह कमी इस बात पर निर्भर करेगी कि अगले कुछ महीनों में कैसी बारिश होती है. पिछले साल के मुकाबले इस बार चीनी उत्पादन में आठ फीसद तक की कमी आ सकती है जो मात्रा के लिहाज से 32.8 मिलियन टन होगी.

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गन्ना पैदावार गिरने का असर

जाहिर सी बात है कि जब गन्ने या चीनी का उत्पादन कम होगा तो देश से होने वाला निर्यात भी घटेगा. उत्पादन घटने से देश में भी चीनी के दाम बढ़ सकते हैं. मौजूदा महंगाई को देखते हुए सरकार की प्राथमिकता इसे कम करने पर है. यह कोशिश इसलिए भी तेज होती दिख रही है क्योंकि इस साल कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और 2024 में आम चुनाव भी. अगर सरकार महंगाई रोकने में विफल रहती है तो यह बड़ा चुनाव मुद्दा बन सकता है.

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