लागत से कम दाम... किसान ने 400 सीताफल के पेड़ों पर चलवाई JCB, 7 साल पहले लगाया था बाग

लागत से कम दाम... किसान ने 400 सीताफल के पेड़ों पर चलवाई JCB, 7 साल पहले लगाया था बाग

महाराष्ट्र के जालना जिले में किसान शंकर गाडेकर ने सात साल की मेहनत से लगाए 400 सीताफल के पेड़ों को जेसीबी से नष्ट कर दिया. लगातार घाटे, कीट प्रकोप और बाजार में गिरती कीमतों से परेशान किसान ने यह कदम उठाया.

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लागत से कम दाम... किसान ने 400 सीताफल के पेड़ों पर चलवाई JCB, 7 साल पहले लगाया था बागजेसीबी से उजाड़ा सीताफल का बाग

महाराष्ट्र के जालना जिले से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. यहां एक किसान ने अपनी सात साल की मेहनत से तैयार किए सीताफल के बाग पर खुद ही जेसीबी चलवा दी. बताया जा रहा है कि खेती से लगातार हो रहे नुकसान और बाजार में गिरती कीमतों से परेशान होकर किसान ने यह कदम उठाया है. नलविहिरा गांव के किसान शंकर भिकाजी गाडेकर ने करीब सात साल पहले अपने खेत में 400 सीताफल के पेड़ लगाए थे. शुरूआती कुछ सालों में उत्पादन ठीकठाक रहा, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मौसम की मार, कीटों का प्रकोप और लगातार गिरती बाजार कीमतों ने उनकी उम्मीदें तोड़ दीं.

फसल पर बढ़ गया था कीटों का हमला

शंकर गाडेकर बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से फसल पर कीटों का हमला बढ़ गया था. दवाई और देखभाल में जितना खर्च होता था, उतनी आमदनी भी नहीं होती थी. ऊपर से मंडी में सीताफल के दाम इतने गिर गए कि लागत भी निकलना मुश्किल हो गया. आर्थिक संकट से टूटे शंकर गाडेकर ने आखिरकार अपनी सात साल की मेहनत पर जेसीबी चलवाने का फैसला किया. उन्होंने 400 पेड़ों वाली अपनी पूरी सीताफल बागा को नष्ट कर दिया.

गांव के अन्‍य किसान भी चिंता में

ग्रामीणों के मुताबिक, गाडेकर का यह कदम पूरे इलाके के किसानों के लिए एक चेतावनी है. बदलते मौसम, महंगे उत्पादन खर्च और बाजार की अनिश्चितता ने किसानों को गहरी परेशानी में डाल दिया है. कई किसानों का कहना है कि सरकार को ऐसे बागायती किसानों के लिए विशेष योजना लानी चाहिए, ताकि प्राकृतिक आपदाओं और बाजार में उतार-चढ़ाव से उन्हें राहत मिल सके.

पिछले महीने एक और किसान ने उजाड़ा था बाग

इससे पहले, बीते महीने जिले के दहिफल शिवार इलाके में भी एक किसान ने मौसंबी के बाग को उजाड़ दिया था. किसान सुरेश चव्हाण ने अपने बाग में मौसंबी के 700 पेड़ लगाए थे, जिन्‍हें उन्‍होंने जेसीबी की मदद से उखाड़ दिया. किसान शंकर गाडेकर की तरह सुरेश की भी यही दिक्‍कत थी कि बागवानी (खेती) की लागत तो लगातार बढ़ रही थी लेकिन, बाजार में फल के दाम कम होते जा रहे थे और नुकसान हो रहा था.

किसान सुरेश छह साल पहले 5 एकड़ जमीन 700 मौसंबी के पेड़ का बाग लगाया था. शुरू में वे आय बढ़ने की आस में थे, लेकिन बीते कुछ सालों में उनकी उम्‍मीदों पर पानी फिर गया. महंगाई और इनपुट लागत में बढ़ोतरी ने और बाजार में फलों के कम दाम के चलते उनका उत्पादन खर्च तक निकलना मुश्किल हो गया और वे हर साल घाटे में जा रहे थे. (इनपुट- गौरव विजय साली)

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