मध्य प्रदेश में इस साल गेहूं की रिकॉर्ड खरीदी की गई है. इस साल प्रदेश के लाखों किसानों को सरकारी खरीद का फायदा मिला है. एक आंकड़ा बताता है कि इस साल रबी सीजन में 15 लाख से ज्यादा किसानों ने गेहूं की बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था. इन किसानों से से इस साल 71 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई है जबकि जहां पिछले साल यह आंकड़ा 43.3 लाख मीट्रिक टन गेहूं का था. आंकड़े देखें तो पता चलेगा कि इस साल 27 लाख मीट्रिक टन ज़्यादा गेहूं की खरीद की गई है. इतनी अधिक मात्रा में गेहूं खरीदने के लिए मध्य प्रदेश सरकार को कर्ज लेना पड़ा है. गेहूं खरीदने और किसानों के खाते में पैसे भेजने के लिए मध्य प्रदेश सरकार को नौ हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज लेना पड़ा है. इस कर्ज की भरपाई के लिए मध्य प्रदेश सरकार को हर दिन 12 करोड़ रुपये के हिसाब से ब्याज ज्यादा देना पड़ रहा है.
इस साल 2023-24 में गेहूं खरीदी करने के लिए 10468 करोड़ रुपये कर्ज लेना था जिसके लिए 29336 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी दी गई है. इस तरह इस साल गेहूं खरीदी का खाद्य नागरिक आपूर्ति निगम का खर्चा 39804 करोड़ रुपये है. इसके साथ ही गेहूं खरीदी के लिए मार्कफेड ने 12832 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है. इस तरह मध्य प्रदेश में गेहूं खरीदी का कर्ज 52636 करोड़ रुपये हो गया है. गेहूं खरीदी का काम केंद्र सरकार के प्रोत्साहन पर होता है. इसलिए केंद्र सरकार राज्य से जैसे-जैसे स्टॉक लेती है, वैसे-वैसे 90 रुपये प्रति टन के हिसाब से नौ महीने का पूरा खर्च, ब्याज और कर्ज ली गई राशि की भरपाई केंद्र सरकार करेगी.
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इस बार एक अच्छी बात ये हुई है कि इस साल मध्य प्रदेश में ही गेहूं खरीदी के केंद्र गोडाउन में ही बनाए जाने से परिवहन के 250 करोड़ रुपये की बचत हुई है. इस बारे में मध्य प्रदेश के वेयर हाउस कॉरपोरेशन के एमडी तरुण पिथोड़े ने पूरी जानकारी दी है. पिथोड़े ने कहा कि इस बार गेहूं खरीदी के बाद बोरे केंद्र सरकार ने उपलब्ध कराए जिससे हर साल होने वाली बोरा खरीदी के 275 करोड़ रुपये की बचत हुई. इस तरह इस साल कुल 525 करोड़ रुपये की बचत हुई है. गोडाउन में गेहूं की हुई कुल खरीदी का 80 फीसद भंडारण हुआ जबकि 20 प्रतिशत खरीदी खरीदी केंद्रों पर हुई.
इस बारे में 'आजतक' से बात करते हुए वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के एमडी तरुण पिथोड़े ने बताया कि अभी तक 71 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदी हो चुकी है. हर साल कर्ज लेकर गेहूं खरीदी होती है. इसके लिए भारत सरकार आरबीआई के माध्यम से कर्ज दिलवाती है. गोदाम पर गेहं खरीदी केंद्र बनाने से परिवहन पर खर्च होने वाला अरबों रुपये बच गया है. इससे सरकार का न केवल परिवहन में होने वाला खर्चा बचा बल्कि असमय होने वाली बारिश से भी गेहूं के नुकसान से बचा का सका. यहां का थोड़ा बहुत गेहूं गीला हुआ.
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तरुण पिथोड़े ने कहा कि जहां पर गेहूं खराब हुआ, वहां पर गेहूं खरीदी करने वाली सोसाइटी को दंडित कर दिया गया. सोसाइटी से वसूली की गई. पिथोड़े ने बताया कि सरकार जितना गेहूं खरीदती है, उसमें से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बांटने के लिए 10 से 15 लाख मीट्रिक टन को रिजर्व रखा गया जाता है. पिछले साल का स्टॉक प्रदेश में ही इस्तेमाल कर लिया गया जिससे यहां का स्टॉक खत्म हो गया. नई उपज को सरकार ने खरीद लिया और उनके खाते में गेहूं के पैसे दिए जा रहे हैं.
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