झारखंड में तरबूज की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा मानी जाती है. पिछले कुछ वर्षों के इसकी खेती से काफी संख्या में किसान जुड़ रहे हैं. इनमें युवा किसानों की संख्या ज्यादा है. युवा किसानों को इसकी खेती से काफी उम्मीदें होती हैं पर इस बार किसानों को निराशा हाथ लगी है. रांची, रामगढ़ और बोकारों के किसानों ने एक बीज कंपनी पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस कंपनी के बीज लगाए थे उसके तरबूज में फल नहीं आए. किसानों का कहना है कि उन्होंने यूएस 2208 कंपनी के बीज लगाए थे. पर अब फसल नहीं हुई है. तरबूज में फल नहीं आए हैं इसलिए किसान परेशान हैं.
बोकारो जिले के कसमार प्रखंड अंतर्गत पूर्णी बैग्यारी गांव के युवा किसान विक्रम कुमार महतो ने बताया कि उन्होंने साढ़े चार एकड़ जमीन में तरबूज खेती की थी. आधे जमीन में उन्होंने यूएस 2208 और आधे जमीन में महिद्रा राम्या कंपनी के बीज लगाए थे. उन्होंने कहा कि खेत में पौधे लगाने के बाद पौधे तो अच्छे से तैयार हुए पर अब उनमें फल नहीं आ रहा है. विक्रम महतो ने बताया कि वो पिछले तीन साल से इसी कंपनी के बीज की खेती करते आ रहे हैं. हर बार अच्छी फसल हो रही थी पर इस बार पोधों में फल ही नहीं आए हैं. उनके आस-पास के भी जिन किसानों ने इस कंपनी के बीज लगाए हैं उनके खेत में भी उत्पादन नहीं हुआ है.
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विक्रम बताते हैं कि तरबूज की खेती का सफल होना उनके लिए बहुत मायने रखता है क्योंकि इससे उनके पूरा साल का खर्चा निकल जाता है. उन्होंने कहा कि खेती के लिए ढाई लाख रुपये की पूंजी लगाई थी. अब पैसे खत्म हो गए हैं. अब उन्हें चिंता सता रही है कि वो अपने परिवार का खर्च कैसे चलाएंगे. गाड़ी की ईएमआई कैसे भर पाएंगे और अपने भाई के पढ़ाई के लिए पैसे कैसे भेज पाएंगे. विक्रम ने बताया कि उन्होंने 700 ग्राम बीज लगाया था. 100 ग्राम बीज की कीमत 1700 रुपये हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने महिला समूह से तीन लाख रुपये का लोन लिया है. अब स्थिति यह है कि दूसरी खेती के लिए पैसे नहीं हैं और जबतक पुराना कर्ज नहीं चुकाएंगे तब तक नया कर्ज नहीं मिलेगा. इसलिए परेशानी और बढ़ गई है.
वहीं बोकारो को पेटरवार प्रखंड के बांगा गांव के किसान बिट्टू ने बताया कि उन्होंने दो एकड़ क्षेत्र में तरबूज की खेती है. उनके अलावा उनके गांव में लगभग 20 और किसानों ने यूएस 2208 कंपनी के बीज लगाए हैं. सभी किसानों के खेतों में यही समस्या है, किसी किसान के खेत में फल नहीं आया है. बांगा गांव में लगभग 30 एकड़ में किसानों को नुकसान हुआ है. बिट्टू ने बताया कि उन्होंने केसीसी के जरिए 70 हजार रुपये का लोन लिया है. अब उनके पास लोन चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं. खेत में दो लाख की पूंजी लगाई पर अब वो इस खेत से पांच हजार रुपये भी तरबूज बेचकर नहीं कमा पाएंगे.
इस बारे में यूएस 2208 बीज कंपनी के अधिकारी धीरज ने कहा कि झारखंड में हो रहे मौसम में बदलाव के कारण किसानों को इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. बीज में कोई खराबी नहीं है. हालांकि किसान यह स्प्ष्ट कह रहे हैं कि वो पिछले कई सालों से तरबूज की खेती करते आ रहे हैं. उन्हें जब पहले कोई दिक्कत नहीं हुई तो इस बार कैसे दिक्कत हो गई. अगर तापमान में गड़ब़डी है तो फिर दूसरी कंपनी के बीज जिन किसानों से लगाए थे उन्हें कैसे अच्छा उत्पादन मिल रहा है. हालांकि बाकी अन्य सवालों से धीरज बचते दिखे और सारा ठीकरा मौसम पर फोड़ दिया.
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किसानों को हुए नुकसान को लेकर झारखंड किसान महासभा ने कहा कि झारखंड में फर्जी बीज और खाद का करोबार धड़ल्ले से चल रहा है. कई बार इससे जुड़ी खबरें सामने आती रहती हैं. इस बार इसका खामियाजा तरबूज किसानों को भुगतना पड़ा है क्योंकि झारखंड में तरबूज की खेती पर निर्भरता बढ़ी है. खास कर युवा किसान अधिक से अधिक संख्या में इसकी खेती कर रहे हैं पर इस तरह से अगर बीज को लेकर शिकायत सामने आएगी तो किसानों के मनोबल पर इसका असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि झारखंड किसान मोर्चा फिलहाल इसके कारणों को जानने का प्रयास कर रहा है. अगर बीज में गड़बड़ी पाई जाती है तो कंपनी को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
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