झारखंड में मॉनसून ने जो बेरुखी दिखाई है उसके परिणाम अभी से ही सामने आने लगे हैं. हालांकि अभी तक मॉनसून खत्म नहीं हुआ है पर इसका असर लोगों को जीवन पर पड़ने लगा है औऱ लोग इससे निपटने की तैयारियों में भी जुट गए हैं. झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में लगने वाले साप्ताहिक हाट बाजारों में चावल की कीमतों में भारी उछाल आ गया है. इसके पीछे वजह यह बताई जा रही है कि बारिश नहीं होने के कारण स्थानीय स्तर पर धान की खेती किसान नहीं कर पाए हैं और धान का उत्पादन कम होगा ऐसे में आने वाले दिनों में चावल की कीमतों में और अधिक उछाल आ सकता है. इसे देखते हुए गामीण अभी से ही चावल की स्टॉकिंग करने में जुट गए हैं.
चावल की कीमतों में कितना उछाल हुआ है इसका अंदाजा इसी बात से लगा जा सकता है कि जन वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाला चावल जून से पहले बाजार में 20 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकता था. वही चावल पिछले मंगलवार को लगने वाले रांची जिले के मांडर प्रखंड अंतर्गत ब्राम्बे साप्ताहिक बाजार में 45 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा था. उसे भी खरीदने के लिए लोगों की भीड़ दुकानों पर लगी थी. एक स्थानीय दुकानदार ने बताया की झारखंड के मिलों से ब्रांडेड चावल बाजार में आता है उनके दाम भी बढ़ गए हैं. उन्होंने बताया कि झारखंड में बिकने वाले दो चावल के ब्रांड में 15 रुपये प्रति किलो तक दाम बढ़ गए हैं.
कुछ ग्रामीणों से जब इस बारे में किसान तक ने बात की तो उन्होंने बताया कि पिछले साल का चावल घर में था तो खा रहे थे इसके अलावा राशन भी मिलता था. पर इस पिछले साल धान की उपज कम हुई थी, तो चावल जल्दी खत्म हो गया है. सुनने में यह आ रहा है कि अगले तीन महीनों तक जन वितरण दुकान प्रणाली के तहत भी राशनकार्ड धारियों को चावल नहीं मिलेगा. इस आशंका से किसान और ग्रामीण डरे हुए और चावल की स्टॉकिग कर रहे इसलिए कीमतें और बढ़ गई है.
धान के रोपाई की बात करें तो राज्य में 18 लाख हेक्टेयर जमीन में धान की खेती की जाती है. इसके अलावा बाकी जमीन पर अन्य खरीफ फसलों की खेती की जाती है. पर इस बार अब तक प्राप्त हुए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 38 फीसदी क्षेत्र में ही धान की रोपनी हो पाई है. इस साल अगर बारिश की स्थिति की बात करें तो 20 जिले ऐसे हैं जहां पर सामान्य से कम बारिश हुई है. एक जिला चतरा में बेहद कम बारिश हुई है जबकि तीन जिले ऐसे हैं जहां पर सामान्य हुई है.
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