'भुखमरी आ जाएगी सरकार, टमाटर का कोल्ड स्टोरेज दिला दो'...गिरते दाम के बीच किसानों की मांग

'भुखमरी आ जाएगी सरकार, टमाटर का कोल्ड स्टोरेज दिला दो'...गिरते दाम के बीच किसानों की मांग

महिला किसान साबित देवी का कहना है कि उन्होंने 4-5 एकड़ में टमाटर की खेती की है. इसमें 3-4 लाख रुपये की लागत लगी है. उन्होंने कहा की बेहतर तकनीक अपनाकर टमाटर फसल का उत्पादन तो अधिक कर लिया है, लेकिन बाजार उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इससे ऐसा लग रहा है कि लागत तो दूर 50-60 हजार भी निकलना मुश्किल है. पता नहीं अब परिवार का भरण पोषण कैसे होगा. सरकार हम किसानों को जल्द से जल्द कोल्ड स्टोरेज की सुविधा दे ताकि हम किसानों के लिए आगे भुखमरी की स्थिति पैदा ना हो.

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'भुखमरी आ जाएगी सरकार, टमाटर का कोल्ड स्टोरेज दिला दो'...गिरते दाम के बीच किसानों की मांगटमाटर के दाम में भारी गिरावट

धनबाद के पूर्वी टुंडी प्रखंड स्थित दुम्मा गांव में इस बार टमाटर की बंपर पैदावार हुई है. लेकिन किसानों में खुशी होने की बजाय निराशा झलक रही है. ऐसी निराशा इसलिए है क्योंकि लोकल मार्केट में टमाटर को ना के बराबर भाव मिल रहा है. स्थानीय सब्जी मंडी में टमाटर का थोक भाव महज 2 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. इससे किसान अपने टमाटर को खेत में ही छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं. किसानों के अनुसार टमाटर की खेती में जो लागत आती है, वह विक्रय मूल्य से तीन गुना अधिक है. ऐसे में किसानों को माथा पीटने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है.

टमाटर किसान परेशान

दुम्मा गांव के किसान ओनाथ मोदक ने 'आजतक' से कहा, यहां के लोगों की मुख्य जीविका का साधन खेती है. यहां के सभी लोग कृषि से जुड़े हैं. सब्जी की खेती यहां बारह महीने होती है, लेकिन इस बार यहां के किसानों की स्थिति काफी दयनीय है. दुम्मा में इस बार टमाटर की बंपर खेती हुई है जिससे टमाटर की कीमत बहुत कम हो गई है. व्यापारी 2 रुपये प्रति किलो खरीद रहे हैं. इस स्थिति में किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.

उन्होंने कहा भावों में कमी का सीधा कारण अधिक उत्पादन होना और मांग कम होना है. जिले में टमाटर की कोई बड़ी प्रोसेसिंग यूनिट भी नहीं है. उन्होंने कहा, किसानों की दयनीय स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन को विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

कोल्ड स्टोरेज की मांग

वहीं महिला किसान साबित देवी का कहना है कि उन्होंने 4-5 एकड़ में टमाटर की खेती की है. इसमें 3-4 लाख रुपये की लागत लगी है. उन्होंने कहा की बेहतर तकनीक अपनाकर टमाटर फसल का उत्पादन तो अधिक कर लिया है, लेकिन बाजार उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इससे ऐसा लग रहा है कि लागत तो दूर 50-60 हजार भी निकलना मुश्किल है. पता नहीं अब परिवार का भरण पोषण कैसे होगा. सरकार हम किसानों को जल्द से जल्द कोल्ड स्टोरेज की सुविधा दे ताकि हम किसानों के लिए आगे भुखमरी की स्थिति पैदा ना हो.

ऐसी ही बात एक और टमाटर किसान संतोष कुमार ने कही. वे कहते हैं, 2-3 एकड़ खेत में टमाटर लगाए थे. उत्पादन भी अच्छा हुआ लेकिन मंडियों में भाव नहीं मिलने से लागत निकालना तो दूर, मंडी तक उपज ले जाने का परिवहन भी महंगा पड़ने लगा है. ऐसे में खेत से निकली फसल को खेत में ही छोड़ने को मजबूर हैं. जब ढुलाई ही इतनी महंगी होगी और बिक्री रेट 2 रुपये होगा तो मंडी या बाजार ले जाकर क्या करेंगे. इससे अच्छा तो खेत में ही छोड़ देंगे.

खुदकुशी को मजबूर किसान

किसान विशेश्वर मोदक कहते हैं, यहां के किसान मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. जिला प्रशासन की ओर से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है. ना ही यहां कोल्ड स्टोरेज है और ना ही समय पर बीज मिलता है. यही नहीं, केसीसी का पैसा भी हम किसानों को नहीं मिल रहा है. इसका पैसा ब्लॉक और बैंकों के दलालों को ही मिलता है. उन्होंने कहा कि सरकार और जिला प्रशासन को विशेष रूप से किसानों पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि किसान आत्महत्या जैसे खौफनाक कदम ना उठाएं.(सिथुन मोदक की रिपोर्ट)

 

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