
पराली के खिलाफ करनाल में बड़ा अभियानकरनाल जिले में पराली जलाने के खिलाफ प्रशासन सख्त नजर आ रहा है. कृषि उपनिदेशक वजीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि अब तक जिले में तीन किसानों के खिलाफ पराली जलाने के मामले में एफआईआर दर्ज की जा चुकी है. इन किसानों पर ₹30,000 का जुर्माना लगाया गया है और "मेरी फसल मेरा ब्योरा" पोर्टल पर रेड एंट्री कर दी गई है. इस कारण ये किसान अगले दो सीजन तक अपनी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर नहीं बेच सकेंगे. तीनों किसान करनाल के घरौंडा खंड से संबंधित हैं.
कृषि उपनिदेशक ने बताया कि पिछले साल की तरह इस साल भी पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है. इन टीमों में अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है, जो ना केवल निगरानी करेंगे बल्कि उल्लंघन करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई भी करेंगे.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, करनाल के गांव कैमला, गांव मलिकपुर और गांव बीजना में किसानों ने धान की पराली में आग लगाई थी. इस पर उनके खिलाफ वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 39 और भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के तहत संबंधित थानों में FIR दर्ज कराई गई है.

वजीर सिंह ने यह भी बताया कि किसानों को पराली न जलाने के लिए कृषि यंत्रों पर 50% सब्सिडी दी जा रही है. इसके अलावा, इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन के लिए किसानों को ₹1200 प्रति एकड़ अनुदान भी उपलब्ध कराया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि करनाल में पिछले कुछ वर्षों में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है और इस बार भी कृषि विभाग का प्रयास रहेगा कि जिले में एक भी पराली जलाने की घटना ना हो. साथ ही उन्होंने किसानों से अपील की कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उठाएं और पराली न जलाएं.
कृषि अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि पराली जलाने के रोकने के लिए जिला प्रशासन की और से 450 से अधिक टीमें गठित की गई हैं जो किसानों को मौके पर जाकर अवगत करा रही हैं. किसान धान की कटाई के बाद पराली को नहीं जलाएं, इसके धुएं से होने वाले नुकसानों से किसानों को अवगत कराया जा रहा है.

पिछले कुछ सालों की बात की जाए तो पराली जलाने के मामले करनाल में काफी कम सामने आए हैं. इस बार भी कृषि विभाग की तरफ से कोशिश रहेगी कि कोई भी किसान पराली नहीं जलाए. सरकार की ओर से जो भी योजनाएं चलाई जा रही हैं, किसानों को उसका फायदा दिलाया जा रहा है. अब देखने वाली बात ये होगी कि इस बार प्रशासन और सरकार की और से शुरू की गई पहल पराली का धुआं रोकने में कितना कारगर साबित होती है.
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