अंबाला की इस शुगर मिल में 21 नवंबर से पेराई शुरू, किसानों को अब तक नहीं मिला 11 करोड़ का बकाया

अंबाला की इस शुगर मिल में 21 नवंबर से पेराई शुरू, किसानों को अब तक नहीं मिला 11 करोड़ का बकाया

हरियाणा की नारायनगढ़ शुगर मिल में नए पेराई सीजन से पहले किसानों की बकाया पेमेंट पर चिंता बढ़ी. मिल प्रबंधन ने दावा किया है कि 15 दिसंबर तक पुराना बकाया क्लियर कर दिया जाएगा, जबकि किसानों ने समय पर भुगतान की गारंटी और ब्याज की मांग उठाई है.

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अंबाला शुगर मिल में 21 नवंबर से पेराई शुरू, किसानों को अब तक नहीं मिला 11 करोड़ का बकायाअंबाला शुगर मिल में जल्द शुरू होगी पेराई

हरियाणा के अंबाला में नारायनगढ़ शुगर मिल्स लिमिटेड में गन्ने की पेराई का सीजन 21 नवंबर से शुरू होने वाला है. इसमें बड़ी बात ये है कि चीनी मिल पर पिछले सीजन का करीब 11 करोड़ रुपये बकाया है. जानकारी के मुताबिक, 2024-25 के पेराई सीजन के दौरान 168 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत का 42 लाख क्विंटल से अधिक गन्ना पेरा गया था. अब फिर इस मिल में गन्ना पेराई का काम शुरू होने जा रहा है, लेकिन किसानों की कुछ वाजिब चिंताएं और मांग हैं.

पिछले कुछ सालों में सीजन की शुरुआत में बकाया रकम धीरे-धीरे कम हुई है, जिससे हालात में सुधार हुआ है, लेकिन किसानों के लिए देरी से पेमेंट मिलना अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है. पिछले साल, पेराई सीजन करीब 22.74 करोड़ रुपये के बकाया के साथ शुरू हुआ था. नियमों के मुताबिक, पेमेंट खरीद के 14 दिनों के अंदर क्लियर हो जाना चाहिए. मगर किसानों की मानें तो यह नियम केवल कागजी है, धरातल पर किसानों के साथ जल्दी ऐसा नहीं होता.

15 दिसंबर तक क्लियर होगा बकाया

भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के जिला अध्यक्ष सिंगारा सिंह ने कहा, “हमने सोमवार को शुगर मिल के अधिकारियों के साथ एक मीटिंग की और किसानों ने मिलों द्वारा पेमेंट में देरी पर चिंता जताई है. अधिकारियों ने दावा किया है कि बकाया 15 दिसंबर से पहले क्लियर कर दिया जाएगा और नया पेमेंट 16 दिसंबर से शुरू होगा.”

उन्होंने दावा किया, “मिल पिछले छह सालों से सरकारी देखरेख में चल रही है, और सरकार को यह पक्का करना चाहिए कि कोई भी पेमेंट बकाया न रहे. हर साल पेमेंट में देरी की वजह से गन्ने के किसानों ने दूसरी फसलें उगाना शुरू कर दिया है.”

बकाया के चलते गन्ने की खेती घटी

बीकेयू (चढ़ृनी) के प्रवक्ता और गन्ने के किसान राजीव शर्मा ने 'दि ट्रिब्यून' से कहा, “बकाया की समस्या के कारण मैंने पिछले साल करीब 10 एकड़ में गन्ने की फसल लगाई थी, जिसे इस साल घटाकर 6 एकड़ कर दिया है. पेमेंट फिर से फंसने के डर से, किसानों ने अपनी फसल क्रशर और दूसरी शुगर मिलों में भेजना शुरू कर दिया है. हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह यह पक्का करे कि बकाया नियमों के मुताबिक क्लियर हो, नहीं तो किसानों को देरी से पेमेंट पर ब्याज मिलना चाहिए.”

मिल के यूनिट हेड वीके सिंह ने कहा, “बकाया धीरे-धीरे कम किया गया है. हमें उम्मीद है कि अगर मिलों को पर्याप्त गन्ना मिलता है और सरकारी सब्सिडी समय पर मिलती है, तो अगले साल कोई बकाया नहीं रहेगा. पेराई के दौरान करीब 50 लाख क्विंटल का टारगेट रखा गया है.”

उन्होंने आगे कहा, “गन्ने के किसानों ने दूसरी फसलें उगाना शुरू कर दिया है. हमने किसानों के साथ मीटिंग की है ताकि उन्हें ज्यादा गन्ना उगाने के लिए मोटिवेट किया जा सके, ताकि मिलों को प्रोडक्शन के लिए पर्याप्त स्टॉक मिले और बकाया समय पर क्लियर हो जाए.”

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