
गुजरात के किसानों पर बिपरजॉय चक्रवाती तूफान की तगड़ी मार पड़ी है. चक्रवात आगे तो बढ़ गया, लेकिन पीछे तबाही के कई निशान छोड़ गया है. कच्चे घरों को भारी नुकसान हुआ है. बिजली के खंबे और लाइनें तहस-नहस हो गई हैं. तेज हवा और भारी बारिश में कई मवेशियों की जान चली गई. इसी तरह का नुकसान किसानों को भी उठाना पड़ा है. इसमें सबसे अधिक प्रभाव तटीय गुजरात के किसानों पर पड़ा है. यहां खजूर की खेती चौपट हुई है और केसर आम के बागान बर्बाद हो गए हैं. यहां तक कि कच्छ के मशहूर केसर आम के सारे बागान तबाब हो गए हैं.
चक्रवात बिपरजॉय पूरे क्षेत्र में तबाही मचाते हुए गुजरात की तटीय रेखा से गुजर चुका है. अच्छी बात ये रही कि सरकार की कोशिशों के चलते दुर्घटना को कम करने में मदद मिली है, लेकिन तटीय इलाके में बसे कई शहरों में भारी क्षति हुई है. चक्रवाती तूफान से सबसे ज्यादा प्रभावित कच्छ क्षेत्र के किसान हैं. यहां कटने को तैयार खड़ी फसल को हवा ने बर्बाद कर दिया और अब किसानों की रोजी-रोटी की चिंता बढ़ गई है.
ऐसे ही मुंद्रा के एक किसान कांजी भाई हैं जो अपनी फसलों की बर्बादी का जायजा लेने अपने खेत और बागों में पहुंचे हैं. गुजरात में केसर की बागवानी बड़े पैमाने पर की जाती है और इसे आमों का राजा भी कहा जाता है. इस आम की बागवानी तटीय गुजरात में की जाती है जिसमें जामनगर, जूनागढ़ और कच्छ जिले आते हैं. किसान कांजी भाई कहते हैं कि इस इलाके में पूरी नकदी फसल बर्बाद हो गई है. तेज हवाओं ने कांजी भाई की 90 फीसद आम की फसल को बर्बाद कर दिया है.
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कांजी भाई का कहना है कि उनके आम का बाजार में कोई खरीदार नहीं है और न ही खेतों में पड़ी हुई उपज को उठाने के लिए कोई मजदूर है. उनका कहना है कि 12 लाख रुपये से ज्यादा की फसल खराब हो गई है और अब वे इसे बेच नहीं सकते हैं. इन आमों की न केवल घरेलू स्तर पर भारी मांग रहती है बल्कि अमेरिका और यूरोप सहित पश्चिम में निर्यात किया जाता है. लेकिन इस बार सब चौपट हो गया.
एक अन्य किसान अरविंद का कहना है कि उनकी मेहनत पानी में चली गई है. उनका आम बाजार में बिकने के लिए तैयार था, लेकिन अब इसे लेने वाला कोई नहीं है. हालत ये है कि उनके बच्चे आम के बागों में इधर-उधर भाग रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक, गुजरात के तटीय इलाके में दो लाख टन से अधिक केसर आम उगाए जाते हैं जो इन किसानों के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है. इसके बाद कच्छ क्षेत्र के खजूर अपने स्वाद और क्वालिटी के लिए भी जाने जाते हैं. लेकिन चक्रवाती तूफान ने सबकुछ तबाह कर दिया है.
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15 जून को आए भयंकर चक्रवाती तूफान ने कच्छ के 90 परसेंट खजूर के पेड़ों को चपेट में ले लिया. तटीय क्षेत्र के आसपास मुंद्रा में रहने वाले किसानों को अब अपनी रोजी-रोटी की चिंता सता रही है. एक ऐसे ही किसान गोपाल हैं जो अपने पिता के साथ खेत का जायजा लेते दिखे. उनकी तरह और भी कई खजूर किसान हैं जिनको काफी नुकसान हुआ है. गोपाल कहते हैं कि कच्छ क्षेत्र से खजूर की मांग है, लेकिन पूरी नकदी फसल बर्बाद हो गई है.
एक खजूर के पेड़ को बड़ा होने में दो दशक से भी ज्यादा समय लग जाता है. 20 साल पहले गोपाल के दादा-दादी ने खजूर के कई पौधे लगाए थे जो बड़ा होने के बाद चक्रवात की तेज हवा के कारण भूसे की तरह उखड़ गए हैं. गोपाल को उन पेड़ों की चिंता अधिक है जो अब तैयार हो गए हैं. गोपाल कहते हैं कि वे अगले साल इतनी ही फसल उगा सकते थे, लेकिन ये पेड़ उखड़ गए हैं जो 20 साल पहले लगाए गए थे. यह उनका सबसे बड़ा नुकसान है क्योंकि उनके पास और कोई पेड़ नहीं बचा है. अगले साल फसल तभी उगाई जा सकती है जब पेड़ सुरक्षित हों.
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