बिहार के बगहा में शुरू हुई दुनिया के सबसे महंगे आम की खेती, 3 लाख रुपये किलो है दाम

बिहार के बगहा में शुरू हुई दुनिया के सबसे महंगे आम की खेती, 3 लाख रुपये किलो है दाम

बगहा में मियाजाकी आम की खेती करने वाले मंगलपुर के किसान कल्याण शुक्ला हैं जिन्होंने करीब 1 एकड़ में विदेशी वैरायटी के आमों के बाग तैयार किए हैं. इसके साथ ही डेढ़ एकड़ में लीची की भी खेती कर रहे हैं. इन बागानों से उन्हें सालाना 5 लाख रुपये से अधिक की आमदनी होती है. यही नहीं, वे खुद कलम तैयार कर पौधे भी बेचते हैं, जिससे क्षेत्र के अन्य किसानों को भी नई राह मिल रही है.

Advertisement
बिहार के बगहा में शुरू हुई दुनिया के सबसे महंगे आम की खेती, 3 लाख रुपये किलो है दामबगहा के किसान कल्याण शुक्ला

बिहार में बगहा की मिट्टी अब विदेशी फलों की खुशबू से महक रही है. यहां आम का मौसम आते ही जहां लोग दशहरी, लंगड़ा और चौसा जैसे देसी आमों के स्वाद का इंतजार करते हैं. वहीं इस बार बगहा के लोग दुनिया के सबसे महंगे जापानी आम 'मियाजाकी' और थाइलैंड के ब्लैक कस्तूरी मैंगो का स्वाद भी चख सकेंगे. जी हां. ये दोनों वैरायटी भारत के लिए नई है क्योंकि अभी तक विदेशों में इसकी पैदावार होती थी. मगर भारत में भी कुछ किसानों ने इसकी बागवानी शुरू कर दी है. इसी में एक किसान बगहा के भी हैं.

बगहा में मियाजाकी आम की खेती करने वाले मंगलपुर के किसान कल्याण शुक्ला हैं जिन्होंने करीब 1 एकड़ में विदेशी वैरायटी के आमों के बाग तैयार किए हैं. इसके साथ ही डेढ़ एकड़ में लीची की भी खेती कर रहे हैं. इन बागानों से उन्हें सालाना 5 लाख रुपये से अधिक की आमदनी होती है. यही नहीं, वे खुद कलम तैयार कर पौधे भी बेचते हैं, जिससे क्षेत्र के अन्य किसानों को भी नई राह मिल रही है.

मियाजाकी: स्वाद भी शाही, दाम भी शाही

वही कल्याण शुक्ला ने बताया कि जापान के मियाजाकी आम को दुनिया का सबसे महंगा आम माना जाता है. यह आम गहरे लाल और बैंगनी रंग का होता है और बाजार में इसकी कीमत 2.5 लाख से 3 लाख रुपये प्रति किलो तक होती है. इसका स्वाद बेहद मीठा और रसीला होता है. इसमें मौजूद पोषक तत्व इसे न सिर्फ स्वादिष्ट, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी बनाते हैं.

ब्लैक कस्तूरी: थाइलैंड की खास नस्ल

शुक्ला ने थाइलैंड के ‘ब्लैक कस्तूरी’ आम की खेती भी शुरू की है. यह आम अपने खास गहरे काले रंग, खुशबू और स्वाद के लिए जाना जाता है. यह नस्ल भारतीय बाजार में अभी कम देखने को मिलती है, लेकिन बगहा में इसकी खेती शुरू होने से लोग पहली बार इसका स्वाद चख पाएंगे.

देशी मिट्टी में विदेशी स्वाद

कल्याण शुक्ला का कहना है कि विदेशी आमों की ये किस्में बगहा की जलवायु और मिट्टी में भी अच्छी तरह पनप रही हैं. अब यहां के लोग भी इन लग्ज़री फलों को नजदीक से देख और चख सकेंगे. साथ ही किसान भी इनकी खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.

स्वास्थ्य का खजाना भी हैं ये आम

किसान कल्याण शुक्ला बताते हैं कि रंगीन फल—जैसे मियाजाकी का जामुनी रंग या कस्तूरी का काला रंग—स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होते हैं. इनमें एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन A और C भरपूर मात्रा में होते हैं जो आंखों, त्वचा और इम्यून सिस्टम के लिए फायदेमंद हैं.(अभिषेक पांडेय की रिपोर्ट)

 

POST A COMMENT