बिहार में करोड़ो लोग कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों पर आश्रित है और यहां खेती-किसानी से पैदा हुई उपज खपत के लिए लाखों-करोड़ो लोगों तक पहुंचती है. इस बीच, राज्य सरकार ने एक चिंता पैदा करने वाली जानकारी दी है. दरअसल राज्य के कई जिलों में उगने वाली विभिन्न फसलों में टॉक्सिक तत्व आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा पाई गई है. साथ ही कुछ अन्य तत्व भी ज्यादा मात्रा में पाए गए हैं. बिहार सरकार ने गुरुवार को विधानसभा में जानकारी दी कि वह राज्य के कई हिस्सों में भूजल में आर्सेनिक की समस्या से निपटने के लिए उपाय शुरू कर रही है.
राज्य के कुछ जिलों में सब्जियों और अन्य कृषि उत्पादों में आर्सेनिक पाए जाने के बाद यह कदम उठाया गया है. उप मुख्यमंत्री और कृषि विभाग मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि स्थिति का आकलन करने के लिए संबंधित विभागों की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई है. उन्होंने कहा कि इस मामले पर लोक स्वास्थ्य और अभियंत्रण (पीएचईडी), स्वास्थ्य और लघु जल संसाधन विभागों के अधिकारियों के साथ भी चर्चा की जा रही है.
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान उठाए गए एक सवाल का जवाब देते हुए सिन्हा ने कहा कि आर्सेनिक दूषित भूजल के इस्तेमाल से राज्य के कुछ जिलों में पत्तेदार सब्जियों, आलू सहित जड़ वाली सब्जियों और अन्य कृषि उत्पादों में आर्सेनिक की मात्रा पाई गई है. उन्होंने कहा कि पत्तेदार सब्जियों में आर्सेनिक की मात्रा 0.1 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम, आलू सहित जड़ वाली सब्जियों में 0.3 मिलीग्राम/प्रति किलोग्राम और धान की फसलों में 1.0 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम पाई गई है.
राज्य के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, जिसे हाल ही में विधानसभा में पेश किया गया था, कुल 38 में से 31 जिलों के 26 प्रतिशत ग्रामीण वार्ड भूजल स्रोतों में अनुमेय सीमा से अधिक आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन के प्रदूषण से प्रभावित हैं. बिहार आर्थिक सर्वेक्षण (2024-25) की ताजा रिपोर्ट में 4,709 ग्रामीण वार्डों में अनुमेय सीमा से अधिक भूजल में आर्सेनिक, 3,789 वार्डों में फ्लोराइड और 21,709 वार्डों में आयरन की मौजूदगी पर भी प्रकाश डाला गया है.
बिहार के पीएचईडी मंत्री नीरज कुमार सिंह ने पहले पीटीआई को बताया था कि हम इस तथ्य से रूबरू हैं... स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, राज्य सरकार ने ग्रामीण बिहार को 'हैंडपंप मुक्त' बनाने और 'हर घर नल का जल' योजना के तहत राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने का फैसला किया है. बिहार के सभी ग्रामीण इलाकों को जल्द ही 'हैंडपंप मुक्त' बना दिया जाएगा. (पीटीआई)
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