बिहार मशरूम उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है. हाल के वर्षों में मशरूम ने भारतीय व्यंजनों और सब्जियों में भी अपनी पहचान बनाई है. लेकिन मशरूम की खेती करने वाले किसान इस समय परेशान हैं. परंपरागत खेती छोड़कर मशरूम की खेती में बेहतर भविष्य देखने वाले किसान उचित दाम और बाजार की कमी से जूझ रहे हैं. किसानों का कहना है कि सरकार ने मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने पर जोर दिया, लेकिन उसके अनुपात में बेहतर बाजार और निर्यात का प्रशिक्षण नहीं दिया गया जिससे सबसे अधिक प्रभावित छोटे किसान हैं, जो सीमित संसाधनों के कारण सिर्फ ठंड के मौसम में मशरूम की खेती कर पाते हैं.
रोहतास जिले के करहगर प्रखंड के तेंदुनी गांव के संतोष कुमार सिंह बताते हैं कि सभी सीजन में बटन मशरूम की सबसे अधिक मांग है. लेकिन छोटे किसान केवल ठंड के मौसम में ही इसका उत्पादन कर पाते हैं. गर्मी में उचित सुविधाओं के अभाव में उत्पादन संभव नहीं होता. सिंह बताते हैं कि उन्होंने ठंड में बटन मशरूम से एक लाख रुपये की बिक्री की, लेकिन यह आय उनके परिवार के लिए पर्याप्त नहीं है. सरकार अगर छोटे स्तर पर बटन मशरूम उत्पादन के लिए प्लांट लगाने में मदद करे, तो किसानों की आय बढ़ सकती है.
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रोहतास जिले के ही किसान सूरज कुमार ने इस साल मशरूम की खेती नहीं की. उनका कहना है कि लागत के मुकाबले कमाई कम होती है. सरकारी मदद और गुणवत्ता वाले बीज प्राप्त करने में भी मुश्किलें आती हैं. कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्रों से भी उचित जानकारी नहीं मिल पाती है.
पटना जिले के बिहटा निवासी दीनानाथ कुमार बटन मशरूम उत्पादन का एसी प्लांट चला रहे हैं. वह बताते हैं कि पहले बिहार में मशरूम आसानी से बिक जाता था, लेकिन अब छोटे और बड़े स्तर पर यूनिट खुलने से प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है. शादी-विवाह के सीजन में जहां मशरूम 200 रुपये किलो बिकता था, अब 150 रुपये में भी मुश्किल से बिकता है. दीनानाथ का मानना है कि सरकार को मशरूम निर्यात के लिए एक बेहतर प्लेटफार्म और किसानों को प्रशिक्षण देना चाहिए. देश और विदेश में मशरूम से बने कौन से उत्पाद की मांग है. इसको लेकर सरकार अपने स्तर पर कोई कार्ययोजना तैयार करे और किसानों को इसके बारे में बताए.
किसान संतोष सिंह कहते हैं कि छोटे किसान ठंड में बटन मशरूम की खेती कर पाते हैं, लेकिन गर्मी में संसाधनों की कमी के कारण मिल्की मशरूम की खेती करते हैं, जिसकी मांग कम है. सरकार को मशरूम के भंडारण और बाजार की समस्या का समाधान निकालना चाहिए. पंचायत स्तर पर भंडारण की सुविधा होनी चाहिए.
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वहीं, दीनानाथ बताते हैं कि एसी युक्त बटन मशरूम उत्पादन प्लांट की लागत कम से कम 50 लाख रुपये है, जो सरकारी अनुदान के बाद भी छोटे किसानों के लिए संभव नहीं है. इसलिए सरकार को कम लागत वाले यूनिट्स की स्थापना पर विचार करना चाहिए.
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