Budget 2024: मंडी व्यवस्था, MSP, किसान आय और रूरल इकनॉमी के लिए बजट में बड़ी घोषणाएं संभव, कृषि विकास पर जोर 

Budget 2024: मंडी व्यवस्था, MSP, किसान आय और रूरल इकनॉमी के लिए बजट में बड़ी घोषणाएं संभव, कृषि विकास पर जोर 

इस बार के बजट में कृषि सेक्टर के लिए सरकार कई सौगातों का एलान कर सकती है. इनमें पीएम किसान सम्मान निधि से लेकर उन्नत बीज और खाद तक कम दाम पर दिलाने का इंतजाम हो सकता है. सरकार का फोकस ग्रामीण इकॉनमी को बढ़ावा देने पर है जिससे देश की विकास दर में भी तेजी लाई जा सके.

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Budget 2024: मंडी व्यवस्था, MSP, किसान आय और रूरल इकनॉमी के लिए बजट में बड़ी घोषणाएं संभव, कृषि विकास पर जोर सरकार का फोकस ग्रामीण इकॉनमी को बढ़ावा देने पर है जिससे देश की विकास दर में भी तेजी लाई जा सके.

इस बार के बजट से किसानों को काफी ज्यादा उम्मीदें हैं. वैसे भी जिस तरह से भारत में रोजगार और महंगाई का संकट गहराता जा रहा है, उसे देखते हुए किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार इस बार के बजट में कई महत्वपूर्ण ऐलान कर सकती है. MSP को लीगल गारंटी की मांग करने वालों किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम दिलाने के लिए SBI रिसर्च की रिपोर्ट में कई सुझाव दिए गए हैं. 

SBI रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों में ज्यादा मंडियों के विकास के जरिए सीधे ग्राहक और किसानों के इंटरफ्रेंस इंटरफ़ेस की सुविधा मुहैया कराई जाए. इन बाजारों के स्थापित होने से किसानों को अपनी फसल सीधे ग्राहकों को बेचने की सुविधा मिल जाएगी. इससे उनकी इनकम और बाजार तक उनकी पहुंच में सुधार आएगा. राज्यों को शहरी हाट को बढ़ावा देकर इस तरह की पहल की अगुवाई करनी चाहिए जिससे किसानों को सीधे ग्राहकों से जुड़ने में मदद मिले.

MSP की व्यवस्था पर अपडेट की जरूरत 

दरअसल किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए MSP की व्यवस्था नाकाम साबित हो रही है. SBI रिसर्च के मुताबिक फसलों की सरकारी खरीद कुल उपज का करीब 6 फ़ीसदी है और बाकी 94 फ़ीसदी कृषि उत्पादन निजी बाजारों के भरोसे है. ऐसे में मांग की जा रही है कि कृषि बाजारों और ग्राम हाट जैसे वैकल्पिक सिस्टम को तैयार किया जाए. SBI का मानना है की इससे का MSP की खामियां दूर की जा सकती हैं.

फसलों के लिए बेहतर बीज और फसल सुरक्षा बड़ा मुद्दा 

भारत का कृषि क्षेत्र इन दिनों खाद्य महंगाई दर, सूखा, जलवायु परिवर्तन और बढ़ते निर्यात प्रतिबंधों के साथ ही कई सामानों के बढ़ते आयात जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है. किसानों और खेती से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि आने वाला बजट इन मुद्दों का समाधान करेगा. कृषि उद्योग की दूसरे डिमांड हैं कि कपास और तिलहन जैसी फसलों के लिए बेहतर बीज का इंतजाम करके इनके उत्पादन को बढ़ाया जाए. जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तकनीकी मदद मुहैया कराई जाए, क्योंकि इससे गेहूं, चीनी, अरहर, उड़द, चना, फल और सब्जियों के उत्पादन पर असर हुआ है. 

कृषि विकास दर बढ़ाने के लिए बड़े फैसले की जरूरत 

भारत में कृषि की विकास दर को देखा जाए तो 5 साल में ये घटकर महज एक चौथाई रह गई है. 2019-20 में भारत की कृषि विकास दर 6.2 फ़ीसदी थी. वहीं, 2020-21 में 4 फीसदी, 2021-22 में 4.6 फीसदी, 2022-23 में 4.7 फीसदी और 2023-24 में ये महज 1.4 परसेंट रह गई.

फर्टिलाइजर सब्सिडी में यूरिया हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर 

कृषि जगत को बजट से कई तरह की उम्मीदें हैं जिनमें R&D में निवेश को GDP के 0.6 फीसदी से बढ़ाकर 1 फ़ीसदी करने की डिमांड है. फर्टिलाइजर सब्सिडी में यूरिया की हिस्सेदारी घटाने और फास्फोरस-पोटेशियम का हिस्सा बढ़ाने की डिमांड है. बायोफर्टिलाइजर को सब्सिडी के तहत लाने की डिमांड की जा रही है. इसके अलावा एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने की डिमांड है. पीएम किसान योजना की रकम को 6 हजार सालाना से बढ़ाकर 8 हजार करने की मांग है. बायोफ्यूल को प्रोत्साहन देकर इसकी मांग बढ़ाने के लिए हाइब्रिड कारों पर 28 फ़ीसदी जीएसटी में छूट देने की डिमांड है. इसके अलावा राष्ट्रीय तिलहन मिशन के लिए बजट आवंटन देने की भी डिमांड की जा रही है. (आदित्य के राणा)
 

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