कश्मीर में विधानसभा चुनाव के पहले चरण में भारी मतदान के बाद अब दूसरे दौर पर टिकीं नजरें 

कश्मीर में विधानसभा चुनाव के पहले चरण में भारी मतदान के बाद अब दूसरे दौर पर टिकीं नजरें 

अब जम्‍मू कश्‍मीर मतदान के अगले दो चरणों की तैयारी कर रहा है, पहले चरण में भारी मतदान ने एक आशावादी माहौल बनाया है. चुनाव का दूसरा चरण 25 सितंबर को होना है. इस चरण में सेंट्रल कश्मीर की 26 सीटों पर मतदान होगा. यह चुनाव अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहला चुनाव है, जिसने जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म कर दिया था.

Advertisement
कश्मीर में विधानसभा चुनाव के पहले चरण में भारी मतदान के बाद अब दूसरे दौर पर टिकीं नजरें घाटी में 25 सितंबर को विधानसभा चुनाव का दूसरा दौर

18 सितंबर को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान प्रतिशत 61.4 प्रतिशत तक पहुंच गया. यह पिछले चुनावों की तुलना में मामूली लेकिन दिलचस्‍प वृद्धि को बताता है. 24 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं ने मतदान किया - जम्मू में आठ और कश्मीर घाटी में 16 - जिसके बाद मतदान के दौ दौर और होने वाले हैं. पहले चरण का मतदान साल 2014 में दर्ज 61.36 प्रतिशत के लगभग बराबर था. आपको बता दें कि घाटी में 10 साल के बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. 

मतदान का रुझान

डोडा, रामबन और किश्तवाड़ जैसे क्षेत्रों में मतदान स्थिर रहा. हालांकि, दक्षिण कश्मीर में 16 में से आठ निर्वाचन क्षेत्रों में 2014 की तुलना में गिरावट देखी गई. यहां पर पंपोर में 2014 में 46.82 प्रतिशत मतदान हुआ था और इस बार यह 45 प्रतिशत पर आ गया.  राजपुरा में  मतदान 54.12 प्रतिशत से घटकर 48.44 प्रतिशत रहा. दमहाल हंजी पोरा में सबसे ज्‍यादा गिरावट दर्ज की गई और यह 80.92 प्रतिशत से 68.88 फीसदी पर आ गया. इन गिरावटों के बावजूद, कुल मतदान मजबूत रहा, जो इस क्षेत्र की चुनावी प्रक्रिया में निरंतर भागीदारी को दर्शाता है. 

यह चुनाव क्यों महत्वपूर्ण है?

यह चुनाव अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहला चुनाव है, जिसने जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म कर दिया था. मतदाताओं की भारी भागीदारी से पता चलता है कि इन बदलावों के बावजूद, कई निवासी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लगे हुए हैं. जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत पिछले कुछ वर्षों में उतार-चढ़ाव भरा रहा है. साल 1962 में मतदान प्रतिशत 40 प्रतिशत से थोड़ा ज्‍यादा था, जो 1987 तक बढ़कर 75 प्रतिशत हो गया. 

1960 और 1970 के दशक की शुरुआत में कांग्रेस का दबदबा रहा, जबकि 1980 के दशक में नेशनल कॉन्फ्रेंस का दबदबा रहा. साल 2014 में मतदान प्रतिशत 65.5 प्रतिशत रहा, जिसमें पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने एनसी को हराया. 2014 का चुनाव खास तौर पर उल्लेखनीय रहा, जिसमें अलगाववादियों की बायकॉट की अपील के बावजूद 66 प्रतिशत मतदान हुआ था. 

महिला वोटर्स रहीं पुरुषों से आगे 

पहले चरण में इंदरवाल, किश्तवाड़, भद्रवाह, डोडा, डोडा पश्चिम और कोकरनाग (एसटी) क्षेत्रों में महिला वोटर्स ने अपने समकक्ष पुरुष वोटर्स से मामूली अंतर से बढ़त हासिल की है जबकि शेष निर्वाचन क्षेत्रों में पुरुष मतदाता आगे रहे. अब जम्‍मू कश्‍मीर मतदान के अगले दो चरणों की तैयारी कर रहा है, पहले चरण में भारी मतदान ने एक आशावादी माहौल बनाया है. चुनाव का दूसरा चरण 25 सितंबर को होना है. इस चरण में सेंट्रल कश्मीर की 26 सीटों पर मतदान होगा. 

यह भी पढ़ें- 

POST A COMMENT