पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने जल्द होने वाले विधानसभा चुनावों में न उतरने का फैसला किया है. उनकी जगह बेटी को इस बार चुनाव के मैदान में किस्मत आजमाने का मौका मिलेगा. खुद महबूबा ने इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी क्योंकि मौजूदा हालात को देखते हुए, अगर वह मुख्यमंत्री भी बन जाती हैं, तो भी उनके लिए अपनी पार्टी का एजेंडा लागू करना संभव नहीं है. उनकी जगह उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती इस बार चुनावी मैदान में उतरेंगी. जम्मू कश्मीर में 18 सितंबर को विधानसभा चुनाव के पहले दौर का मतदान होना है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने महबूबा के हवाले से लिखा है, 'मैं बीजेपी के साथ एक सरकार की मुख्यमंत्री रही हूं जिसने साल 2016 में 12,000 लोगों के खिलाफ एफआईआर वापस ले ली. क्या हम अब ऐसा कर सकते हैं? मोदी के साथ एक सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में, मैंने अलगाववादियों को बातचीत के लिए आमंत्रित करने के लिए एक चिट्ठी लिखी थी. क्या आप आज ऐसा कर सकते हैं? मैंने जमीन पर संघर्ष विराम करवाया. क्या आप आज ऐसा कर सकते हैं? अगर आप मुख्यमंत्री के तौर पर एक एफआईआर तक वापस नहीं ले सकते हैं तो कोई ऐसे पद का क्या कर सकता है?'
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जब उनसे नेशनल कॉन्फ्रेंस के डिप्टी उमर अब्दुल्ला विधानसभा चुनाव को लेकर मन बदलने के बारे में सवाल पूछा गया तो महबूबा ने अपने ही अंदाज में जवाब दिया. उन्होंने कहा, 'उमर ने खुद कहा था कि एक चपरासी के तबादले के लिए भी उन्हें उप राज्यपाल के दरवाजे पर जाना होगा. मुझे चपरासी के ट्रांसफर की चिंता नहीं है लेकिन क्या हम अपना एजेंडा लागू कर सकते हैं?' महबूबा ने न्यूज एजेंसी ने सवाल किया कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के हाथ मिलाने के समय पार्टी के लिए किसी चुनाव पूर्व गठबंधन की कमी है तो इस पर उनका जवाब था, 'हमने हमेशा अकेले ही लड़ाई लड़ी है.'
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महबूबा के शब्दों में, '1999 में जब से हमारी पार्टी बनी है तब से हम अकेले ही लड़ रहे हैं. हमने लोगों की मदद से लड़ाई लड़ी है. लोगों की मदद के लिए लड़ी है. हम कांग्रेस का हिस्सा थे, मैं सीएलपी नेता थी, मुफ्ती (मुफ्ती मोहम्मद सईद) सांसद थे. लेकिन हमने पार्टी छोड़ दी और ऐसा मंच बनाया ताकि हम लोगों की तकलीफें खत्म कर सकें.' अपने चुनावी घोषणापत्र में पीडीपी ने अनुच्छेद 370 और 35ए को बहाल करने का प्रयास करने का वादा किया है. साथ ही भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक वार्ता शुरू करने और कश्मीरी पंडितों की कश्मीर घाटी में सम्मानजनक वापसी सुनिश्चित करने का वादा किया है.
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