किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा और अहम किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने पिछले दिनों हरियाणा विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने का फैसला किया है. उन्होंने जैसे ही चुनाव लड़ने के बारे में ऐलान किया, हर कोई बस इस बात की अटकलें लगाने लगा कि वह कहां से चुनाव लड़ेंगे. अब इस बात का खुलासा हो गया है कि चढ़ूनी किस जगह से चुनावी मैदान में उतरेंगे. गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा है कि उनकी पार्टी संयुक्त संघर्ष पार्टी हरियाणा की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं चढ़ूनी खुद पेहावा से चुनाव लड़ेंगे. इस साल अक्टूबर में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं.
चढ़ूनी भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के मुखिया हैं और किसानों के अधिकारों के मुखर समर्थक हैं. उन्होंने बुधवार कोर करनाल में एक कार्यक्रम से इतर यह बात कही है. दिसंबर 2021 में जब पहली बार किसान आंदोलन हुआ था तो उस समय चढ़ूनी ने अपनी पार्टी की शुरुआत की थी. पार्टी ने साल 2022 में चढ़ूनी के 'मिशन पंजाब' के तहत विधानसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमाई थी लेकिन पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब था.
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एक कमीशन एजेंट से कृषि विशेषज्ञ बने चढ़ूनी ने लाडवा सीट से साल 2019 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था. उन्हें इस चुनाव में हालांकि हार का सामना करना पड़ा था. उनकी पत्नी बलविंदर कौर ने भी आम आदमी पार्टी (आप) के टिकट पर कुरुक्षेत्र से साल 2014 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना किया था. चढ़ूनी का असर हरियाणा के उत्तरी जिले अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल और करनाल पर काफी है जिन्हें 'धान के कटोरे' के तौर पर भी जाना जाता है.
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इस साल मार्च में चढ़ूनी ने ऐलान किया था कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनावों में हिस्सा लेगी. लेकिन फिर उन्होंने अपना फैसला बदल लिया और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के नेता अभय चौटाला को समर्थन देने का फैसला किया. चौटाला कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे. कुरुक्षेत्र जिले की शाहबाद विधानसभा सीट के चढ़ूनी जट्टान गांव के रहने वाले चढ़ूनी के हवाले से हिन्दुस्तान टाइम्स ने लिखा है कि उन्होंने पेहोवा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. फिलहाल पेहोवा सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता और पूर्व मंत्री संदीप सिंह विधायक हैं.
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चढ़ूनी से आने वाले चुनावों में इनेलो के साथ संभावित गठबंधन के बारे में भी सवाल पूछा गया. इस पर चढ़ूनी ने कहा, 'हमने उन्हें सिर्फ कुरुक्षेत्र सीट पर समर्थन दिया क्योंकि वह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के पास सिंघू सीमा पर हमारे विरोध प्रदर्शन के दौरान किसानों के लिए खड़े थे, लेकिन बाकी सीटों पर नहीं. हम जानते हैं कि उनकी पार्टी ने बसपा के साथ गठबंधन किया है, लेकिन अभी तक हमारे साथ कोई बैठक नहीं हुई है.'
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