
बागवानी के प्रति लोगों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है. खासकर हाई वैल्यू फलों की ओर.यही वजह है कि देश में विदेशी फलों को भी आजमाया जा रहा है, क्योंकि अब लोग ऐसे फलों का रुख करने लगे हैं, जिनसे कम कीमत में ज्यादा पोषण मिल सके. ऐसे में सफेद जामुन जैसा फल इसमें बिल्कुल खरा उतरता है. इस फल में भरपूर पोषण होता है बनारस और बिहार के प्रगतिशील किसान सफेद जामुन की बागवानी कर रहे हैं.और इसकी बाजार में कीमत 300 से लेकर 500 रुपये किलो तक है. इस फल में जामुन और सेब दोनों के गुण होते हैं. इसकी बागवानी मैदानी इलाकों में की जा सकती है, जिससे कम लागत में सफेद जामुन की बागवानी कर आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
सफेद जामुन की बागवानी गांव बवियाव, जिला वाराणसी के किसान शैलेंद्र रघुवंशी और सौरभ रघुवंशी ने की है. उन्होंने बताया कि इसके पेड़ पर मार्च में फूल आते हैं और जून में फल तोड़ लिए जाते हैं. इस सफेद जामुन के पेड़ में मार्च के महीने से मंजर आने लगते हैं और अप्रैल के आखिर तक पेड़ों पर फल लटकने लगते हैं और मॉनसून आने से पहले ही इन फलों को तोड़ लिया जाता है. सौरभ रघुवंशी ने बताया कि इस पेड़ को साल 2017 में बांग्लादेश से मंगवाया गया था और इसे अपने जलवायु में ट्रायल के रूप में लगाया था. तीसरे साल लगभग डेढ़ क्विंटल फल आने लगे. इसकी बाजार में कीमत 300 से लेकर 500 रुपये प्रति किलो तक है. उन्होंने बताया कि एक पेड़ से पांच साल में तीन से चार क्विंटल फल मिलते हैं. सौरभ रघुवंशी ने बताया कि अब इसे ग्राफ्टिंग से तैयार कर पौधे दूसरे किसानों को भी बेच रहे हैं क्योंकि इसे देखने दूर-दूर के किसान आ रहे हैं और इसकी मांग कर रहे हैं.
सफेद जामुन की बागवानी केवल बनारस में ही नहीं बल्कि बिहार के मझवरिया गांव के प्रगतिशील युवा किसान रविकांत पांडे भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि सफेद जामुन के पेड़ में मार्च के महीने से मंजर आने लगते हैं और अप्रैल के आखिरी तक पेड़ों पर फल लटकने लगते हैं और मॉनसून आने से पहले ही इन फलों को तोड़ लिया जाता है. रविकांत ने बताया कि इस सफेद जामुन से बहुत सारे फायदे हैं. उन्होंने बताया कि इस फल में जामुन और सेब दोनों के गुण हैं.
उन्होंने कहा कि इसे गर्म इलाकों का सेब भी कह सकते हैं क्योंकि सेब की बागवानी पहाड़ों पर होती है. लेकिन इस फल की खेती मैदानी इलाकों में करके आम और अमरूद से ज्यादा लाभ कमा सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह फल औषधि के रूप में भी जाना जाता है और यह बेहद ही खास फल है. इसके खाने के तरीके हैं और इसके अनेक अलग-अलग फायदे हैं. सफेद जामुन की आकृति घंटीनुमा होती है. पूरी तरह से तैयार हो जाने पर इसका रंग गुलाबी और सफेद हो जाता है. यह बेहद ही मीठा फल होता है. खाना खाने के समय लोग इसका इस्तेमाल करते हैं, जिससे पाचन तंत्र मजबूत होता है. कोई इसे सलाद में शामिल कर खाता है.
इस फल के बारे में कृषि विज्ञान केंद्र पश्चिम चंपारण के हेड डॉ. आर. पी. सिंह से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि यह एक उष्णकटिबंधीय पेड़ है. इसके फल घंटी के आकार के होते हैं जिसे रोज़ एप्पल, जावा एप्पल, जाम्बू, और मलय एप्पल के नाम से जाना जाता है. यह फल दक्षिण-पूर्वी देशों जैसे मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस और श्रीलंका में भी पाया जाता है. लेकिन अब इसके पौधे भारत में कुछ राज्यों के किसान लगाने लगे हैं. इसके फल पौष्टिक गुणों से भरपूर होते हैं.
किसान रविकांत ने बताया कि पौधों में 2 साल के बाद फल लगने शुरू हो जाते हैं. 3-4 साल बाद पौधा पूरी तरह से फल देना शुरू करता है. फूल मार्च से अप्रैल तक आते हैं और मई-जुलाई में फल लगते हैं. एक पौधा 5 साल बाद तीन क्विंटल तक फल दे सकता है. सफेद जामुन का बाजार मूल्य प्रति किलो 100 रुपये से अधिक होता है, जिससे एक पौधा से 20 हजार से 30 हजार रुपये तक की आमदनी हो सकती है. इस प्रकार, उचित देखभाल और तकनीक से सफेद जामुन की खेती एक लाभदायक व्यवसाय साबित हो सकती है. उन्होंने कहा कि इसके सेवन से मधुमेह के रोगियों को फायदा पहुंचता है. सफेद जामुन ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में सहायता करता है. इसमें मौजूद नियासिन गुड कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ाता है और हानिकारक ट्राइग्लिसराइड, बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में कारगर है. दिल की सेहत के लिए सफेद जामुन अच्छा माना जाता है. साथ ही इसमें कैलोरी कम और फाइबर ज्यादा होता है. इसलिए इसके सेवन से वजन कम होता है.
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