
योगी सरकार ने यूपी में छुट्टा जानवरों की समस्या के लिए कुख्यात 'अन्ना कुप्रथा' से बेसहारा हुई गायों को 'गोवंश पोषण मिशन' के तहत संरक्षण देने की पहल की है. बेसहारा पशुधन के कारण किसानों की फसल चौपट होने और सड़कों पर इनकी वजह से होने वाली वाहन दुर्घटनाएं रोकने के लिए यह अभियान चलाया है. इसके तहत पूरे प्रदेश में गौशालाएं बनाकर आवारा पशुओं को संरक्षण देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गोवंश संवर्धन के लिए 1681 करोड़ रुपये खर्च किए गए. मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बताया गया कि योगी सरकार ने गोवंश के भरण-पोषण के लिए भूसा संग्रहण एवं गो आश्रय पोर्टल (https://up.goashray.in/) भी बनाकर इस मुहिम को प्रभावी बनाने के प्रयास तेज कर दिए हैं. सरकार का कहना है कि इस दिशा में पशुधन नीति के अंतर्गत गोवंश संरक्षण के काम को आगे बढ़ाया जा रहा है.
पशुपालन विभाग ने गोवंश के संरक्षण को लेकर चलाए जा रहे अभियान की उपलब्धियों के बारे में यूपी के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र के समक्ष आंकड़ों के हवाले से बताया है कि गत 31 मार्च तक इस मिशन में 1681.61 करोड़ रुपए खर्च करके 11 लाख 57 हजार 204 बेसहारा गोवंश को संरक्षण प्रदान किया गया है. इसके लिए राज्य सरकार ने 'मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना' के तहत विकसित 'गो-आश्रय पोर्टल' पर इससे संबंधित तथ्य अपलोड करने के लिए 1 सप्ताह की समय सीमा निर्धारित की है. जिससे गौशालाओं के संचालन के लिए दिया जाने वाला जून का भुगतान, जुलाई के पहले सप्ताह में सुनिश्चित हो सके.
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विभाग की ओर से मुख्य सचिव को बताया गया कि यूपी में गायों के संरक्षण के लिए वर्ष 2023-24 में कुल 80 लाख कुंतल भूसा एकत्र करने का लक्ष्य तय किया गया है. इसमें से 24 लाख कुंतल भूसा दान के माध्यम से और 56 लाख कुंतल भूसा खरीद कर जुटाया जाएगा. विभाग को गत मार्च तक 3.077 लाख कुंतल भूसा दान में मिल गया था. जबकि 19.35 लाख कुंतल भूसा खरीद कर जुटाया जा रहा है. यह सालाना निर्धारित लक्ष्य का क्रमशः 12.79 प्रतिशत और 34.55 प्रतिशत है.
मुख्य सचिव ने भूसा की खरीद प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए पशुधन विभाग को आवश्यक निर्देश दिए हैं. इसके अलावा जिन जनपदों में भूसा खरीद, लक्ष्य से 10 प्रतिशत से कम है, उन जिलों में स्थानीय प्रशासन को भूसा खरीद में तेजी लाने को कहा गया हैं.
गौरतलब है कि पिछले महीने सीएम योगी ने यूपी को छुट्टा जानवरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए बेसहारा गायों की पुख्ता देखभाल करने के सख्त निर्देश दिए थे. उन्होंने सड़कों पर बेसहारा गोवंश न दिखे, इसके लिए 75 जिलों में 75 आईएएस अफसर तैनात करने के बाद इन अधिकारियों को सड़कों पर उतार कर बेसहारा गोवंश को गो आश्रय स्थलों में पहुंचाने की जिम्मेदारी दी थी. साथ ही सरकार ने गौशालाओं में रखी गई गायों के लिए विशेष निगरानी की व्यवस्था भी की है.
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गोवंश के संरक्षण पर हो रहे व्यय का भुगतान गो आश्रय पोर्टल के माध्यम से डीबीटी द्वारा किया जाना है. इस क्रम में, गोवंश संरक्षण के काम में लगे 98,147 सहभागियों का 'एमआईएस दर्पण पोर्टल' पर पंजीकरण हो गया है. पोर्टल पर इन सहभागियों के बैंक खातों की जानकारी भी दर्ज कर दी गई है.
शासन ने विभाग को प्रतिभागियों की जानकारियां अगले 1 सप्ताह में पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं. जिससे आगामी जून का भुगतान जुलाई के पहले सप्ताह में हो सके. इस दिशा में सुस्त गति से काम कर रहे जिलों काे काम में तेजी लाने को कहा गया है. इनमें 31 जिले ऐसे भी हैं, जिनसे गोवंश के भरण-पोषण के लिए आवश्यक धनराशि जारी करने की जानकारी अभी नहीं मिली है. इन जिलों काे इस दिशा में तत्परता से समुचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं.
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