अक्सर देखा गया है कि कुछ गाय व भैंस मिट्टी खाती हैं. इससे पशुपालक काफी परेशान रहते हैं. उन्हें पशुओं की रखवाली करनी पड़ती है ताकि वो ऐसा न करें. दरअसल यह एक बीमारी है. पशु विशेषज्ञों के अनुसार इस बीमारी को पाईका कहते हैं, जो फास्फोरस की कमी से होती है. ऐसे पशु कागज, प्लास्टिक, मिट्टी सब कुछ खा लेते हैं. इसके उपचार के लिए पशु को प्रतिदिन खनिज मिश्रण जैसे एग्रीमीन, कैल्डीमीन, मिल्कमिन, मिनरलफोर्ट, मीनीमिक्स 40-50 ग्राम तथा कृमिनाशक दवा देना चाहिए. कृषि के बाद पशुपालन गांवों में लोगों की आजीविका का महत्वपूर्ण सोर्स है. आइए जानते हैं पशुपालन से जुड़े चार और सवालों के जवाब.
कुछ पशुपालक इसलिए परेशान रहते हैं क्योकि उनके दुधारू पशुओं में एकाएक दूध की मात्रा गिर जाती है. वो जानना चाहते हैं कि इससे बचाव के क्या उपाय हैं? विशेषज्ञों के अनुसार इस बीमारी को एग्लैक्टिया कहते हैं. इसमें पशु के शरीर में कैल्शियम की कमी हो जाती है. इसके इलाज के लिए दुधारू पशुओं को 40-50 ग्राम खनिज मिश्रण प्रतिदिन खिलाना चाहिए.इससे इस समस्या की रोकथाम हो सकती है.
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पशु विशेषज्ञों के अनुसार पशुओं में सर्रा का कारण खून में पाये जाने वाले ट्रिपेनोसोमा नामक प्रोटोजोआ है. यह प्रोटोजोआ खून चूसने वाली मक्खी द्वारा बीमार पशुओं से स्वस्थ्य पशुओं में फैल जाती है. बीमार पशु बार-बार पेशाब करते हैं. उनकी आंखें लाल हो जाती हैं. शरीर का ताप बढ़ जाता है. आंखें बहने लगती हैं तथा कभी-कभी उसकी काली पुतली पर सफेद झिल्ली आ जाती है.पशु खाना कम कर देता है. शरीर में थकावट आ जाती है, दूध सूख जाता है तथा ग्याभिन पशु का बच्चा गिर जाता है. कभी-कभी पशु चक्कर मारते हुए नजर आता है. इसकी मुख्य दवायें जैसे वैरेनिल, ट्राईक्वीन और एन्ट्रीसाइड- प्रोसाल्ट हैं. आधुनिक नई दवायें निकटतम पशु-चिकित्सक की परामर्श से प्रयोग करना चाहिए.
काफी पशुपालकों की समस्या रहती है कि गाय ब्याने के बाद उसके चारो थनों से खून आ जाता है. आखिर इसका क्या उपचार है? पशु विशेषज्ञों ने इस सवाल का जवाब भी दिया है.
चारों थनों से खून आने के कई कारण हो सकते हैं. लेकिन मुख्य रूप से कैल्शियम की कमी से थनों से खून आ जाता है. खून अलग से दिखाई नहीं देता परन्तु चारों थनों का खून हल्का गुलाबी या लाल नजर आता है. ऐसी स्थिति में कैल्शियम इंजेक्शन जैसे माईफेक्स, थाईकाल, कैल्सियम-बोरोग्लूकोनेट नस में लगाते हैं या कैलडी-12, कैल्सियम सैन्डोज 10 मि.ली. या कैल्सिटॉक्स-30 मि.ली. मांस में लगाने से लाभ हो जाता है.
कुछ पशुपालक यह जानना चाहते हैं कि क्या दुधारू पशुओं को संपूर्ण मात्रा में केवल हरा चारा जैसे बरसीम जई आदि खिला सकते हैं? पशु विशेषज्ञों ने इसका जवाब भी दिया है. उनका साफ कहना है कि दुधारू ही नहीं, किसी भी तरह के पशु को पूर्ण मात्रा अर्थात भर पेट केवल हरा चारा नहीं खिलाना चाहिए. हरे चारे में नमी (पानी) की मात्रा अधिक होती है इससे आपके पशु को अफरा (गैस की समस्या) हो सकती है. भरपेट हरे चारे के साथ 2-4 कि.ग्रा. सूखा चारा (भूसा, कर्वी इत्यादि) शरीर के भार के अनुसार अवश्य देना चाहिए.
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