Fisheries: एक मछली में आई तो पूरे तालाब की मछलियों में फैल सकती है ये बीमारी

Fisheries: एक मछली में आई तो पूरे तालाब की मछलियों में फैल सकती है ये बीमारी

फिशरीज एक्सपर्ट का कहना है कि मछलियों में ज्यादातर बीमारी खराब पानी के चलते होती हैं. खासतौर पर बारिश के दौरान जब गंदा पानी तालाब में आ जाता है तो ये बीमारियां और बढ़ जाती हैं. ऐसी ही एक बीमारी अल्सर है. इसके पीछे की एक वजह भी गंदा पानी ही है. और ये बीमारी किसी भी मौसम में हो सकती है. इसलिए मछली पालन के दौरान पानी का ख्याल रखना बहुत जरूरी है. 

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Fisheries: एक मछली में आई तो पूरे तालाब की मछलियों में फैल सकती है ये बीमारीBangladesh produces nearly 70 percent of the world’s hilsa and it is also the country’s national fish.

एक मछली पूरे तालाब को गंदा नहीं करती है. ये सिर्फ एक कहावत है. लेकिन ये सच है कि एक मछली पूरे तालाब की मछलियों को बीमार कर सकती है. बीमारी भी ऐसी कि जिससे मछलियों का शरीर सड़ जाता है. मछलियों की मौत भी हो जाती है. इतना ही नहीं अगर यही बीमार मछलियां बाजार में बिकने आ जाएं तो इन्हें खाकर इंसान भी बीमार पड़ सकते हैं. फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो मछलियों की छोटी-बड़ी 15 ऐसी बीमारी हैं जो बैक्टीरिया और पैरासाइट के चलते हो जाती हैं. 

अगर वक्त रहते इनकी पहचान, इलाज और रोकथाम नहीं की गई तो यह पूरे तालाब की मछलियों में फैल सकती हैं. अल्सर एक ऐसी ही बीमारी है. इसके चलते मछलियों की मौत भी हो जाती है. मछलियों को तमाम तरह की बीमारी से बचाने के लिए जरूरी है कि तालाब की समय-समय पर सफाई होती रहे. मछलियों का दाना गुणवत्ता वाला और संतुलित खिलाएं. बीमार मछलियों को अलग हटा दें. तालाब के आकार के हिसाब से ही तालाब में मछलियों की संख्या‍ रखें. तालाब में और दूसरी मछलियों को न पनपने दें. 

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मछलियों को अल्सर हुआ है या नहीं, ऐसे करें पहचान

फंगस यानि फफूंद के चलते मछलियों के बीच अल्सर रोग जल्दी होता है. तालाब, टैंक में पाली जाने वाली मछलियों के साथ ही नदी में रहने वाली मछलियों में भी अल्सर रोग होता है. लेकिन एक्सपर्ट का मानना है कि खेत के पास बने तालाब में पलने वाली मछलियों में अल्सर होने की संभावना ज्यादा रहती है. इस बीमारी की पहचान मछलियों के शरीर पर खून जैसे लाल धब्बे हो जाते हैं. कुछ दिन बाद यही धब्बे घाव बन जाते हैं और मछलियों की मौत हो जाती है. 

मछलियों में अल्सर रोकने को तालाब में करें ये काम 

फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो तालाब की मछलियों में अल्सर रोकने के लिए तालाब को किनारे से इतना ऊंचा उठा दे या बांध बना दें कि उसमे आसपास का गंदा पानी न जाए. खासतौर पर बारिश के मौसम में बरसात होने के बाद तालाब के पानी का पीएच लेवल जरूर चेक करते हैं. या फिर बारिश के दौरान तालाब के पानी में 200 किलो के करीब चूना भी मिलाया जा सकता है. 

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तालाब में अल्सर फैल जाए तो ऐसे करें इलाज 

अगर तालाब की कुछ मछलियों को अल्सर हो जाए तो उन्हें  अलग कर दें. और अगर तालाब की ज्यातदातर मछलियों में अल्सर बीमारी फैल गई है तो तालाब में कली का चूना जिसे क्वि क लाइम भी कहते हैं के ठोस टुकड़े डाल दें. एक्सपर्ट के मुताबिक प्रति एक हेक्टेयर के तालाब में कम से कम 600 किलो चूना डालें. चूने के साथ ही 10 किलो ब्लीचिंग पाउडर भी प्रति एक हेक्टेयर के हिसाब से डालें. इसके साथ ही लीपोटेशियम परमेगनेट का घोल भी प्रति एक हेक्टेयर के तालाब में एक लीटर तक ही डालें.  
 

 

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