पंजाब और हरियाणा में धान की पराली को जलाने के मामलों ने चिंता बढ़ाई है. इससे वातावरण को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है. पराली जलाने पर सुप्रीमकोर्ट ने रोक लगा रखी है और कठोर कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं. अब गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पशु विशेषज्ञों ने पराली जलाने की बजाय इसको चारे के रूप में इस्तेमाल करने का तरीका खोज निकाला है. वैज्ञानिकों के अनुसार धान की पराली का पशु आहार के रूप में उपयोग किसानों के लिए किफायती और पशुओं के लिए लाभदायक साबित होगा.
गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय लुधियाना के पशु पोषण विशेषज्ञ डॉ. जेएस लांबा ने कहा कि पंजाब में हर साल बड़ी मात्रा में धान की पराली पैदा होती है, जिसका उपयोग पशु आहार में किया जा सकता है, जिससे डेयरी फार्मिंग की लाभप्रदता बढ़ सकती है. आमतौर पर धान की पराली का उपयोग पशु शेड और बिस्तर बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन इसे यूरिया और गुड़ से उपचारित करके पशु आहार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
पशु पोषण विशेषज्ञ डॉ. जेएस लांबा ने कहा कि किसान 30 लीटर पानी में 1 किलो यूरिया और 3 किलो गुड़ मिलाकर घोल तैयार कर सकते हैं. यूरिया और गुड़ के घोल को 1 क्विंटल धान की पराली पर छिड़काव करें और इसे ट्रांगली या टोटल मिक्स्ड राशन मशीन में इस तरह से मिलाएं कि धान की पूरी पराली यूरिया गुड़ के घोल से भीग जाए. 15 मिनट मिलाने के बाद यह पशुओं को खिलाने के लिए तैयार हो जाएगी.
डॉ. जेएस लांबा के अनुसार दुधारू पशुओं के लिए टोटल मिक्स्ड राशन मशीन में मिक्स की गई धान के भूसे में 25 ग्राम नमक और 50 ग्राम खनिज मिलाकर इसे दुधारू पशुओं को हरे चारे के रूप में सानी के साथ 2 किलोग्राम प्रतिदिन की दर से खिला सकते हैं. उन्होंने कहा कि पशुओं के लिए इसे हरे चारे के साथ 4-5 किलोग्राम प्रतिदिन की दर से खिलाया जा सकता है.
धान के भूसे के फायदे बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे धान के भूसे की पौष्टिकता बढ़ती है क्योंकि इसमें प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है. उपचारित भूसा मुलायम होने के साथ ही अधिक स्वादिष्ट भी हो जाता है. धान का भूसा गेहूं के भूसे से सस्ता होता है जिससे चारे की लागत कम आती है. यूरिया उपचारित धान के भूसे को खिलाने से छोटे पशुओं की शारीरिक बनावट तेजी से बढ़ती है और दुधारू पशुओं का दूध उत्पादन भी बढ़ता है. .
पशु पोषण विशेषज्ञ डॉ. जेएस लांबा ने कहा कि किसानों को कुछ सावधानियां बरतनी होंगी. यूरिया उपचारित धान के भूसे को 6 महीने से कम उम्र के बछड़ों को कभी न खिलाएं. पशु आहार में यूरिया उपचारित धान के भूसे का उपयोग करते समय ध्यान रखें कि सानी राशन में यूरिया की मात्रा अधिक न हो. यदि उपचारित धान की पराली में फफूंद लग गई है तो उसे पशुओं के चारे में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. घोड़ों और सूअरों को यूरिया उपचारित धान की पराली नहीं खिलानी चाहिए. यूरिया उपचारित धान की पराली के लंबे समय तक उपयोग के लिए बताए गए तरीके से राशन में खनिज मिश्रण मिलाएं.
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