गोबर से बढ़ेगी किसानों की आयदेश के डेयरी किसानों के लिए बड़ी राहत की खबर है. केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने यह ऐलान किया है कि अगले पांच सालों में डेयरी किसानों की इनकम कम से कम 20% बढ़ाई जाएगी. यह बढ़ोतरी एक सर्कुलर इकॉनमी मॉडल के ज़रिए होगी, जिसे गुजरात के बनासकांठा ज़िले के सफल कोऑपरेटिव मॉडल के आधार पर पूरे देश में लागू किया जाएगा.
सर्कुलर डेयरी इकोनॉमी एक ऐसा मॉडल है जिसमें दूध उत्पादन के साथ-साथ गोबर से बनने वाले बायोगैस, बायो-CNG और जैविक खाद को भी पैसा कमाने का हिस्सा बनाया जाता है. इस मॉडल में किसान केवल दूध बेचकर ही कमाई नहीं करेंगे, बल्कि उनके पशुओं के गोबर से तैयार की गई ऊर्जा और खाद की बिक्री से भी पैसा सीधे उन्हें मिलेगा. इस तरह, किसानों को एक ही सोर्स से इनकम के दो से तीन मौके मिलेंगे. अमित शाह ने कहा कि सरकार इस मॉडल को पूरे देश में बड़े पैमाने पर लागू करेगी ताकि लाखों पशुपालक किसानों को इसका फायदा मिल सके.
बनासकांठा में हुए इवेंट के दौरान, अमित शाह ने बनास डेयरी के नए बायो-CNG और फर्टिलाइज़र प्लांट का उद्घाटन किया और 150 टन के मिल्क पाउडर प्लांट की नींव रखी. उन्होंने बताया कि 1960 में सिर्फ़ आठ गांवों से शुरू हुई यह डेयरी अब 24,000 करोड़ रुपये की एक बड़ी ऑर्गनाइज़ेशन बन गई है. इस कामयाबी का ज़्यादातर क्रेडिट गाँव की महिलाओं को जाता है, जिन्हें हर हफ़्ते अपने दूध का पूरा पेमेंट सीधे अपने बैंक अकाउंट में मिलता है. यह ट्रांसपेरेंट सिस्टम महिलाओं की इकोनॉमिक हिस्सेदारी बढ़ाने का एक इंस्पायरिंग उदाहरण बन गया है.
अमित शाह ने ज़ोर देकर कहा कि अब पशुपालक अपने गोबर से इनकम कमाएंगे. उनके मुताबिक, गोबर का इस्तेमाल बायोगैस, बायो-CNG, बिजली और ऑर्गेनिक फर्टिलाइज़र बनाने में किया जाएगा और इससे होने वाली इनकम किसानों को वापस की जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में एक भी ग्राम गोबर बर्बाद नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह किसानों के लिए एक ज़रूरी आर्थिक ज़रिया बन सकता है. इस मॉडल को लागू करके, सरकार का मकसद एनर्जी और फर्टिलाइज़र सेक्टर में किसानों को मज़बूत करना है.
अमित शाह ने कहा कि देश भर की लगभग 250 डेयरियों के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर जनवरी में बनासकांठा आएंगे ताकि इस कोऑपरेटिव मॉडल को करीब से समझ सकें और इसे अपने-अपने राज्यों में लागू कर सकें. उन्होंने बताया कि सरकार ने एग्रीकल्चर सेक्टर के लिए तीन नेशनल लेवल की कोऑपरेटिव सोसाइटी बनाई हैं, जिनका मकसद बीज प्रोडक्शन, ऑर्गेनिक प्रोडक्ट और एग्रीकल्चरल एक्सपोर्ट को बढ़ावा देना है. इसके अलावा, डेयरी सेक्टर के लिए तीन नई मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी बनाई गई हैं, जिससे दूध किसानों को ज़्यादा प्रॉफिट कमाने में मदद मिलेगी.
सरकार ने यह भी तय किया है कि डेयरियां अब अपना जानवरों का चारा खुद बनाएंगी, जिससे किसानों को सस्ता और अच्छी क्वालिटी का चारा मिलेगा. बनास डेयरी का नया बायो-CNG प्लांट, मिल्क पाउडर प्लांट, प्रोटीन प्लांट और ऑटोमेटेड चीज़ प्लांट भविष्य में देश भर की डेयरियों के लिए एक रोल मॉडल का काम करेंगे. ये मॉडर्न प्लांट न सिर्फ प्रोडक्शन कैपेसिटी बढ़ाएंगे बल्कि किसानों की इनकम को भी कई गुना बढ़ाने का पोटेंशियल रखते हैं.
अमित शाह ने कहा कि दही और पनीर जैसे पारंपरिक प्रोडक्ट्स के अलावा, कई हाई-वैल्यू डेयरी प्रोडक्ट्स की दुनिया भर में बहुत ज़्यादा डिमांड है. इनमें से कई प्रोडक्ट्स अभी भारत में नहीं बनते हैं. सरकार चाहती है कि देश की डेयरियां इन प्रोडक्ट्स का प्रोडक्शन शुरू करें ताकि किसान ग्लोबल मार्केट में अपना हिस्सा बढ़ा सकें और ज़्यादा इनकम कमा सकें.
उन्होंने यह भी बताया कि एक समय सूखे की वजह से बनासकांठा के किसानों को मज़दूरी करनी पड़ती थी, लेकिन सुजलाम-सुफलाम योजना और नर्मदा-माही के पानी को दूसरी तरफ मोड़ने से यह इलाका बदल गया है. अब, यहां के किसान साल में एक के बजाय तीन फसलें उगा सकते हैं. उन्होंने दो यूनिवर्सिटी को पानी से सिंचाई पर आधारित इस बदलाव को डॉक्यूमेंट करने का भी निर्देश दिया है ताकि इसे नेशनल रूरल डेवलपमेंट रिकॉर्ड में शामिल किया जा सके.
अमित शाह ने साफ़-साफ़ कहा कि सर्कुलर डेयरी इकॉनमी अगले पांच सालों में डेयरी किसानों की इनकम 20 फीसद बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगी. सरकारी पॉलिसी, मॉडर्न टेक्नोलॉजी, नई कोऑपरेटिव, गोबर से बनी एनर्जी और ऑर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र-ये सब मिलकर एक नई White Revolution 2.0 की शुरुआत कर रहे हैं. यह मॉडल देश भर के लाखों पशुपालकों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है, जिससे भविष्य में उनकी आर्थिक स्थिति और मज़बूत होगी.
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