दूध की बढ़ती लागत को कम करके मुनाफा बढ़ाने पर चर्चा चल रही है.Milk Production Cost दूध उत्पादन हर साल तेजी से बढ़ रहा है. भारत दूध उत्पादन में पहले नंबर पर है. बावजूद इसके पशुपालक खुश नहीं हैं. उनका आरोप है कि उन्हें दूध के सही दाम नहीं मिल रहे हैं. दूध उत्पादन से लागत निकालना तक मुश्कि ल हो गया है. हरा-सूखा समेत सभी तरक का चारा महंगा हो चुका है. लेकिन पशुपालक को मिलने वाले दूध के दामों में लागत के मुताबिक बढ़ोतरी नहीं हो रही है. देश में आठ करोड़ लोग आजीविका चलाने के लिए डेयरी और पशुपालन से जुड़े हैं. जबकि अमेरिका में डेयरी इंडस्ट्री से सिर्फ 25 हजार लोग ही जुड़े हुए हैं.
अमेरिका में डेयरी और पशुपालन एक कारोबार की तरह से है, जबकि हमारे देश में पशुपालन सीधे रोजी-रोटी से जुड़ा हुआ है. खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में पशुपालन इसी सोच के साथ किया जाता है. डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट भी न बढ़ने के पीछे यही वजह बताई जा रही है. वर्ल्ड लेवल पर कुल दूध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी की बात करें तो वो 25 फीसद है. जबकि साल 2047 तक यही आंकड़ा डबल से भी ज्यादा हो जाने की उम्मीद डेयरी सेक्टर में लगाई जा रही है.
डेयरी एक्सपर्ट और अमूल के पूर्व एमडी डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि मौजूदा वक्त में भारत करीब 25 करोड़ टन दूध उत्पादन कर रहा है. उम्मीद है कि 2047 तक देश में करीब 63 करोड़ टन दूध का उत्पादन होने लगेगा. ऐसा होने पर ये विश्व दूध उत्पादन का 45 फीसद हिस्सा होगा. इतना ही नहीं 63 करोड़ टन उत्पादन होने पर 10 करोड़ टन दूध देश में सरप्लस हो जाएगा. वहीं ये भी उम्मीद है कि 2047 तक विश्व व्यापार का दो तिहाई हिस्सा भारत का होगा. लेकिन दूध उत्पादन बढ़ने के साथ ही हमे उसकी खपत और पशुपालक की लागत संग उसके मुनाफे के बारे में भी सोचना होगा.
क्योंकि हर साल अच्छी दर से दूध उत्पादन बढ़ रहा है तो इसकी खपत का बढ़ना भी जरूरी है. खपत बढ़ेगी तो कीमत बढ़ेगी. और रणनीति ये होनी चाहिए कि दूध की कीमतें खाद्य मुद्रास्फीति दर से ज्यादा न बढ़ें. वहीं पशुपालकों के बारे में इस तरफ भी सोचना होगा कि प्रति किलोग्राम चारे में दूध उत्पादन को बढ़ाया जाए. और ये सब मुमकिन होगा अच्छी ब्रीडिंग और चारे में सुधार लाकर. आज पशुपालक अपने दूध के दाम ज्यादा और चारे के दाम कम कराना चाहता है. क्योंकि अगर दूध की लागत 100 रुपये लीटर आ रही है तो उस में 70 रुपये तो सभी तरह के चारे और खुराक पर ही खर्च हो जाते हैं.
ये भी पढ़ें- मीट उत्पादन में 5वीं से 4 पोजिशन पर आया भारत, दूध-अंडे में पहले-दूसरे पर बरकरार
ये भी पढ़ें- जरूरत है अंडा-चिकन को गांव-गांव तक पहुंचाकर नया बाजार तैयार किया जाए-बहादुर अली
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today