भारत दूध उत्पादन में नंबर वन है. लेकिन अगर प्रति पशु दूध उत्पादन की बात करें तो वो बहुत कम है. डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो प्रति पशु दूध उत्पादन बढ़ाना कोई मुश्किल काम नहीं है. अगर पशुपालन के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखा जाए तो डेयरी में दूध उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है और पैसा भी डबल किया जा सकता है. हाल ही में आनंद, गुजरात में एक सेमिनार का आयोजन किया गया था. सेमिनार का विषय लाभदायक डेयरी के लिए रणनीतियां था.
जहां डेयरी एक्सपर्ट ने दूध उत्पादन बढ़ाने वाले कई बिन्दुाओं के बारे में विस्तार से बताया. वहीं डेयरी सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी पर भी चर्चा की गई. वहीं महिलाओं को और सशक्त बनाने के बिन्दुओं पर भी चर्चा की गई. गौरतलब रहे इस सेमिनार का आयोजन आईडीए (इंडियन डेयरी एसोसिएशन), गुजरात चैप्टर द्वारा किया गया था.
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सेमिनार के दौरान डॉ. आर. ओ गुप्ता, वरिष्ठ महाप्रबंधक, नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) ने बताया कि फायदेमेंद डेयरी के लिए किसानों को उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले बैल का वीर्य प्रजनन के लिए अपनाना चाहिए. इतना ही नहीं पशुओं के लिए वैज्ञानिक आधार पर तय फीड-फोडर और देखभाल के तौर-तरीकों को अपनाना चाहिए. डॉ. गुप्ता का कहना था कि इलाज से बेहतर रोकथाम है, इस बात को हर एक पशुपालक को अपने दिमाग में बैठा लेना चाहिए. और इसी पर चलते समय से पशुओं का टीकाकरण कराना चाहिए. इससे पशु का विकास भी होता है और उसकी उम्र भी बढ़ती है. वहीं समय से पशुओं को पेट के कीड़े वाली दवा खिलाने की बात भी कही.
डॉ. गुप्ता ने फायदेमंद डेयरी के लिए सबसे बड़े बिन्दु पर बात करते हुए बताया कि बछड़ा पालन पर ध्यान देना बहुत जरूरी है. क्योंिकि सभी तरह के पशुपालन में पशु का बच्चा एक बड़ा मुनाफा होता है. इसलिए बछड़े की देखभाल बहुत जरूरी है. इसके साथ ही उन्होंने पशुपालन क्षेत्र में डिजिटलीकरण के फायदों पर भी चर्चा की.
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गाय पालन में काऊ बैल्ट का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई. इसके बारे में बताया कि ऐसा करने से हम बहुत सारी बीमारियों के बारे में वक्त रहते पता चल जाता है. जिससे बीमारी पर होने वाला खर्च तो बचता ही है, साथ ही पशु भी परेशानी से दूर रहता है और उसके उत्पादन पर किसी भी तरह का कोई असर नहीं पड़ता है. सेमिनार में आए लोगों से उन्हों ने केन्द्र सरकार द्वारा संचालित 1962 ऐप का उपयोग करने की अपील भी की.
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