भारत में कृषि के बाद किसान काफी तेजी से पशुपालन की ओर बढ़ रहे हैं. कमाई के लिहाज से भी पशुपालन किसानों और पशुपालकों के लिए एक फायदे का सौदा साबित हो रहा है. ऐसे में पशुपालकों के लिए ये जानना जरूरी है कि वे अपने मवेशियों के रखरखाव और बेहतर खानपान की जानकारी रखें. वहीं पशुपालन का व्यवसाय तभी सफल होता है जब पशुपालकों को इससे जुड़ी सभी बुनियादी बातों की जानकारी हो.
इसी वजह से पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने मवेशियों को पोषण से भरपूर चारा खिलाएं क्योंकि बेहतर चारे से पशुओं के दूध और उनके स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ता है. ऐसे में पशुपालकों के लिए मार्केट में चारे की एक नई वैरायटी आई है. चारे की इस वैरायटी को हिसार के किसानों के लिए खास तौर पर तैयार किया गया है.
बात करें नई वैरायटी के चारे की तो इसका नाम है जई HJ8. जई चारे से पशुओं को सबसे अधिक ऊर्जा मिलती है जो अधिक दूध उत्पादन में सहायक होती है. जई चारा चारे की प्रमुख फसल है. इसमें प्रोटीन और विटामिन अधिक मात्रा में पाया जाता है. इसलिए जई का चारा पशुओं के लिए उत्तम है. वहीं इसका दाना घोड़े, भेड़, पशुओं और मुर्गियों के लिए प्रमुख खाद्य पदार्थ है.
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जई (HJ8) चारे को हिसार के किसानों के लिए खास तौर पर तैयार किया गया है. हिसार ऐसी जगह है जो अर्ध-शुष्क कृषि-जलवायु के तहत आती है, जहां हरे चारे की कमी पशुपालकों के लिए एक बड़ी चुनौती है. अर्ध-शुष्क कृषि-जलवायु कई फसलों की खेती के लिए अनुकूल नहीं है. यही वजह है कि ऐसे क्षेत्र में चारे की खेती आसानी से नहीं होती है.
इस चारे की खेती के लिए हिसार में बड़े पैमाने पर काम किया गया. हिसार में इस चारे की खेती के लिए फार्मर फर्स्ट प्रोग्राम चलाया गया. इसका मकसद ये था कि हिसार के किसानों को उनके मवेशियों के लिए हरा चारा उपलब्ध हो सके. इस प्रोग्राम में जई की खेती को बढ़ावा दिया गया जिसमें एचजे8 वैरायटी बोई जा रही है. इस प्रोग्राम के तहत हिसार के 100 स्थानों पर फील्ड अफसर लगाए गए. इसके लिए कृषि विभाग ने तीन गांवों को गोद लिया जहां जई की इस वैरायटी का परीक्षण किया गया. इसकी खेती सफल रही और किसानों ने कई बार काटी जाने वाली इस चारे की पैदावार लेना शुरू कर दिया. खेती से पता चला कि जई की ये खास किस्म चारे की अन्य किस्मों से 14 फीसद अधिक पैदावार देती है.
मवेशियों के पोषण के लिए यह चारा एक तरह से टॉनिक का काम करता है. इसे मवेशियों, भेड़ और बकरियों जैसे दुधारू पशुओं के लिए सुविधाजनक और पौष्टिक चारा माना जाता है. जई चारा रबी मौसम की मुख्य चारे की फसल है. यह पशुओं के उपयोग के लिए आसानी से पचने योग्य है और इसमें 10-12 प्रतिशत प्रोटीन होता है. जई का उपयोग भूसी या सूखे चारे के रूप में भी किया जाता है.
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