लगभग 54 साल पहले देश में ऑपरेशन फ्लड (व्हाइट रिवॉल्यूशन) की शुरुआत हुई थी. ये डेयरी सेक्टर के लिए एक बड़ा क्रांतिकारी कदम था. इसी की बदौलत हमारा भारत दूध की कमी वाले देशों की लिस्ट से निकलकर दूध उत्पादन में नंबर वन बना. ना सिर्फ उत्पादन बढ़ा बल्किर छोटे डेयरी किसानों की इनकम में भी सुधार आया. ये कहना है इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी डॉ. आरएस सोढ़ी का. उनका ये भी कहना है कि आज एक बार फिर वो वक्त आ गया है जब हम व्हाइट रिवॉल्यूशन-2 कगार पर खड़े हैं. और यही वजह है कि आज मिल्क प्रोडक्शन बढ़ाने, डेयरी में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने, पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने, डेयरी डेपलवमेंट और डेयरी किसान को मजबूत बनाने के लिए हमे डेयरी सेक्टर की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने के लिए पूरी तरह से फोकस करना होगा.
यह भी ध्यान रखना होगा कि मूल व्हाइट रिवॉल्यूशन की नींव सहकारी समितियों और दूध उत्पादन के विस्तार पर रखी गई थी. जबकि आज व्हाइट रिवॉल्यूशन-2 हाईटेक टेक्नोलॉजी, क्लाइमेंट चेंज से निपटने और नए बाजार के मुताबिक डेयरी प्रोडक्ट की तेजी से बढ़ती मांग है. साथ ही दूसरा चरण राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB), राज्य सरकारों और डेयरी प्रोसेसिंग एवं इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (DIDF) की पहलों द्वारा समर्थित है. इतना ही नहीं दूसरा चरण स्थिर पशु उत्पादकता, विकसित हो रही उपभोक्ता की प्राथमिकताएं और स्थिरता जैसी चुनौतियों का समाधान करने पर भी केंद्रित है. व्हाइट रिवॉल्यूशन-2 में कैसा काम होगा, इसे समझते हैं.
आरएस सोढ़ी का कहना है कि व्हाइट रिवॉल्यूशन-2 का मकसद डेयरी पशुओं की उत्पादकता बढ़ाना है, जो इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है. कृत्रिम गर्भाधान और जीनोमिक चयन जैसी उन्नत प्रजनन तकनीकों के साथ-साथ बेहतर पशु पोषण के माध्यम से हम डिमांड और सप्लाई के बीच के अंतर को स्थायी रूप से खत्म करने की उम्मीद कर रहे हैं. पशुओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाले चारे और स्वास्थ्य सेवा तक बेहतर पहुंच सीधे दूध की पैदावार और गुणवत्ता दोनों को बढ़ाएगी.
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आज की तेज़ी से विकसित होती दुनिया में डेयरी फार्मिंग में डिजिटल इन्नोवेशन को एकीकृत करना जरूरी है. डेटा एनालिटिक्स, मोबाइल स्वास्थ्य निगरानी ऐप और एआई-संचालित कृषि प्रबंधन समाधान जैसी तकनीकें किसानों के संचालन को आधुनिक बनाने के लिए तैयार हैं. ये उपकरण किसानों को निर्णय लेने में सक्षम बनाएंगे, जिससे उत्पादकता और मुनाफा दोनों में सुधार होगा.
स्थायित्व व्हाइट रिवॉल्यूशन-2 का एक मुख्य पिलर है. जलवायु परिवर्तन कृषि और डेयरी के लिए एक बड़ा जोखिम है. मीथेन उत्सर्जन जैसे मुद्दे, पानी की खपत को कम करना और एनवायरनमेंट के साथ मैनेज करते हुए कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण कदम हैं. जैविक चारा उत्पादन को प्रोत्साहित करना और वेस्ट मैनेजमेंट प्रणालियों में सुधार करना न केवल पर्यावरण की रक्षा करने में मदद करेगा, बल्कि किसानों के लिए इनकम के नए रास्ते भी खोलेगा.
व्हाइट रिवॉल्यूशन-2 का प्रमुख जोर किसान सशक्तिकरण पर है, खासतौर से महिलाओं के बीच, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग हैं. सहकारी समितियों को मजबूत करना, वित्तीय समावेशन का विस्तार करना, प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचे तक पहुंच सुनिश्चित करना किसानों को फलने-फूलने में सक्षम बनाएगा. पनीर, दही और फोर्टिफाइड दूध जैसे वैल्यू एडेड डेयरी उत्पादों को बढ़ावा देने से घरेलू और इंटरनेशनल स्तर पर नए बाजार के अवसर पैदा होंगे.
स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) जैसे कमोडिटी स्टॉक की कीमत का पूरे डेयरी डेयरी पर बड़ा असर पड़ता है. जब एसएमपी की कीमतों में गिरावट आती है, तो इसका बाजार पर नकारात्मक असर पड़ता है, जिससे तरल दूध, मक्खन और दूसरे डेयरी उत्पादों की कीमतें प्रभावित होती हैं. इसी के चलते कच्चे दूध के लिए दी जाने वाली कीमतें भी प्रभावित होती हैं. किस्मत से पशु आहार की मौजूदा कम कीमतों ने दूध उत्पादन लागत के मामले में किसानों को कुछ राहत दी है. हालांकि यह अस्थायी राहत है और बहुत ज्यादा दिनों तक ऐसा नहीं होगा.
अगर जल्द ही एसएमपी स्टॉक के बारे में कुछ नहीं किया गया तो कीमतों में गिरावट जारी रहेगी और किसानों को नुकसान होता रहेगा. वक्त से और रणनीतिक तरीके से इस स्टॉक का निपटान करने से बाजार को स्थिर करने, प्रोसेसर और किसानों दोनों के लिए मददगार साबित होगा. अगर ऐसा नहीं होता है तो मूल्य अस्थिरता का चक्र जारी रह सकता है, जिससे किसान जो पहले से ही बढ़ती उत्पादन लागत से जूझ रहे हैं वो और नुकसान में आ सकते हैं.
डॉ. सोढ़ी ने बताया कि अक्टूबर में पेरिस में आईडीएफ वर्ल्ड डेयरी समिट 2024 आयोजित किया गया था. इस समिट में डेयरी क्षेत्र के वैश्विक नेता दुनियाभर में डेयरी फार्मिंग के भविष्य और स्थिरता पर चर्चा करने के लिए एक साथ आए थे. इस मंच पर डेयरी क्षेत्र में भारत के नवाचारों और योगदानों को भी साझा किया गया. अच्छी बात ये है कि भारतीय डेयरी संगठनों ने शिखर सम्मेलन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. तीन बड़े प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते जो हमारे देश की स्थिरता, इनोवेशन और सहकारी मॉडल के माध्यम से छोटे किसानों के सशक्तिकरण को दिखाते हैं. अमूल डेयरी, सुंदरबन सहकारी दुग्ध एवं पशुधन उत्पादक संघ लिमिटेड और आशा महिला दुग्ध उत्पादक कंपनी लिमिटेड को मिले.
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