Fish Diseases: तालाब में मछलियां बीमार हैं या नहीं, तीन तरह से ऐसे कर सकते हैं पता 

Fish Diseases: तालाब में मछलियां बीमार हैं या नहीं, तीन तरह से ऐसे कर सकते हैं पता 

Fish Health तालाब की समय-समय पर सफाई कर के भी मछलियों को हर तरह की छोटी-बड़ी बीमारियों से बचाया जा सकता है. मछलियों का दाना गुणवत्ता  वाला और संतुलित रखें. बीमार मछलियों को अलग हटा दें. तालाब के आकार के हिसाब से ही मछलियों की संख्यात रखें. एक्सपर्ट की सलाह अपनाकर मछली पालक तीन तरह से मछलियों में होने वाली बीमारियों की पहचान कर सकते हैं. 

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Fish Diseases: तालाब में मछलियां बीमार हैं या नहीं, तीन तरह से ऐसे कर सकते हैं पता धान के खेत में मछली पालन.

Fish Health बीमारी, देखभाल और खुराक से नदी-समुद्र की मछलियों का कोई मतलब नहीं होता है. वो अपना पेट खुद ही भरती हैं. लेकिन जब बात तालाब, टैंक और नदी में जाल लगाकर मछली पालन करने की हो तो फिर मछलियों की हर बात का ख्याल रखा जाता है. दाना खि‍लाने से ज्यादा सुबह-शाम उनकी निगरानी की जाती है. मछलियों की बीमारी के लक्षणों पर पैनी नजर रखी जाती है. क्योंकि कई ऐसी बीमारियां हैं जो अगर एक मछली को हो जाए तो फिर पूरे तालाब की मछलियों को अपनी चपेट में ले लेती है. फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो तालाब या टैंक में मछली पालन करने वालों को सबसे ज्यादा नुकसान मछलियों की बीमारी के चलते उठाना पड़ता है. 

अगर तालाब में बीमारी न फैले या फिर बीमारी फैलने से पहले ही उसके लक्षणों की पहचान कर उसका इलाज करा लिया जाए तो मछली पालन में एक बड़े नुकसान से बचा जा सकता है. एक्सपर्ट का कहना है कि मछलियों में होने वाली बीमारियों की पहचान करना हालांकि कोई मुश्किेल काम नहीं है. जरूरत बस इस बात की है कि तालाब में मछलियों के ऊपर बराबरा नजर बनाई रखी जाए. 

तालाब में मछलियों के ये होते हैं सामान्य लक्षण

आप तालाब के किनारे टहलते हुए भी मछलियों सामान्या लक्षण देखकर उनकी बीमारी को पहचान सकते हैं. चार ऐसे सामान्य  लक्षण हैं जिन्हेंक देखते ही पला चल जाता है कि मछली किसी बीमारी का शिकार है. जैसे मछलियों द्वारा सामान्यम तरीके से दाना नहीं खाना. मछलियों द्वारा बार-बार तालाब या टैंक के किनारे पर आना. मछलियों द्वारा खरपतवार की आड़ में छिपकर रहना. मछली द्वारा सुस्तल तरीके से पानी में रहना मतलब तैरना. 

मछली के शारीरिक लक्षण बताते हैं वो बीमार है

अगर मछलियों के शरीर से जरूरत से ज्याादा श्लेकष्माह (बलगम) निकल रहा है तो चौंकन्नेट हो जाएं. क्योंछकि ज्या दा श्लेसष्मां निकलने से मछली किसी भी बैक्टी(रिया का शिकार हो सकती है. दूसरा लक्षण है मछली अपने मूल रंग से हटकर बदरंग हो जाती है. मछली के पंखों के नीचे लाल घाव दिखाई दें. मछली के शरीर पर सफेद और काले धब्बें दिखाई देने लगें. मछली का पेट फूलना, स्केंल के बीच में मवाद का जमा होना. मछलियों के पंख टूटना और उनका सड़ना. मछलियों की आंख में सूजना आना. मछली का शरीर छोटा और सिर बड़ा दिखाई देना. मछली का गलफड़ ज्याेदा लाल हो जाना. गलफड़ का टूटना और सड़ना. 

पोस्टमार्टम से पता चलते हैं अंदरूनी लक्षण

किसी भी मछली की बीमारी के अंदरूनी लक्षण का पता उसके पोस्ट मार्टम से ही चलता है. मछली की चीरफाड़ कर आप उसके अंदरूनी अंगों को देखकर भी उसकी बीमारी का पता लगा सकते हैं. मछली की आंत के पास से गाढ़ा और बदबूदार पानी आना. मछली के लिवर का रंग असामान्यम होना. मछली के गुर्दों में टूटफूट और सड़न का होना. मछलियों की आंत में पैरासाइट का मिलना. मछली के लिवर और गुर्दे में गांठ का होना उसकी बीमारी के लक्षण हैं.     

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