Goat Care बकरीद में दो दिन बाकी रह गए हैं. सात जून को कुर्बानी का त्यौहार बकरीद मनाई जाएगी. इसी को देखते हुए बकरों की खरीद-फरोख्त में भी तेजी आ गई है. बाजार और हाट में बकरों का बाजार सज गया है. बकरों को सजा धजा कर बेचने के लिए लाया जा रहा है. लेकिन इस भीषण गर्मी में बकरे बीमार भी हो रहे हैं. बाजार से घर आते-आते बकरों को खासतौर पर पेट संबंधी बीमारियां हो रही हैं. कुछ गर्मी की चपेट में भी आ रहे हैं. बकरों ने खाना-पीना कम या एकदम से बंद कर दिया है. परेशानी वाली बात ये भी है कि बीमारी बकरे की कुर्बानी नहीं दी जाती है.
इसलिए ये जरूरी है कि ऐसे मौसम में बकरा खरीदने के बाद घर लाकर उसे क्या और कैसे खिलाएं-पिलाएं. गौरतलब रहे बाजार में बिकने वाले मीट के मुकाबले कुर्बानी का बकरा महंगा होता है. बकरे की खूबसूरती और उसकी तंदरुस्ती को देखते हुए उसके रेट लगाए जाते हैं. साथ ही ये भी देखा जाता है कि वो चोटिल ना हो और उसके दांत सींग ना टूटे हों.
गोट एक्सपर्ट हाजी इकबाल का कहना है कि बकरों को बाजार में लाने से पहले कारोबारी उन्हें खूब खिलापिलाकर लाते हैं. बहुत सारे कारोबारी बकरे को तगड़ा दिखाने के चक्कर र में बेसन का घोल समेत कुछ खास तरह के केमिकल पिलाकर लाते हैं. बेसन पेट को फुला देता है. लेकिन गर्मियों में बेसन पीने से बकरे का पेट भी खराब हो जाता है. अब जैसे ही बकरा घर आता है तो घर के बच्चे खुशी खुशी में उसे खूब खिलाने पिलाने लगते है. इस तरह ओवर डाइट के चक्कर में बकरा बीमार पड़ जाता है. कई बार तो बकरे की मौत तक हो जाती है.
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