डेयरी फार्महमारे देश में पशुपालन पुराने समय से ही किया जा रहा है लेकिन बीते कुछ सालों से पशुपालन लाभ का एक बेहतर कारोबार बन गया है. पशुपालन की बात आए तो सबसे अधिक लोग दुधारू पशुओं को पालना ही पसंद करते हैं. कमाई के लिहाज से भी दुधारू पशु पालन और डेयरी फार्मिंग करना फायदे का सौदा है. अधिकांश लोगों की शिकायत है कि डेयरी फार्मिंग करते हुए उन्हें मनमुताबिक लाभ नहीं हो रहा है. दरअसल डेयरी बिजनेस से अधिक लाभ कमाने के लिए अच्छी नस्ल और कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए.
आज इस खबर में हम आपको देसी गायों की दो बेहतर नस्लों के बारे में बताएंगे. इसके साथ ही डेयरी फार्मिंग से जुड़ी सभी छोटी-बड़ी बातें जैसे शेड कैसा होना चाहिए, पशु खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें, खानपान कैसा हो और दुधारू पशुओं के दूध से अधिक कमाई करने का तरीका भी.
डेयरी फार्मिंग के लिए गाय पालने की सोच रहे हैं तो अधिक दूध देने वाली नस्लों के पीछे ना जाएं. पशुओं का चयन करने से पहले उनके स्वभाव और उनके रोग प्रतिरोधक क्षमता के बारे में भी जानना जरूरी होता है. डेयरी बिजनेस के लिए गिर नस्ल और लाल सिंधी गाय पालना फायदेमंद बताया जाता है. आइए दोनों नस्ल के गायों की खासियत जान लेते हैं.
बीते कुछ सालों में हमारे देश में गिर नस्ल की गाय को खूब पसंद किया जा रहा है. गिर नस्ल की गायें दिन में 15 लीटर तक दूध दे सकती हैं. गिर नस्ल की गायें शांत स्वाभाव की मानी जाती हैं. साथ ही इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी होती है. इस नस्ल की सबसे अच्छी विशेषता ये है कि ये किसी भी जलवायु और वातावरण में आसानी से ढल जाती हैं.
डेयरी फार्मिंग करने के लिए लाल सिंधी नस्ल की गाय को भी बेहतर बताया जाता है. पहले यह गाय सिर्फ सिंध इलाके (पाकिस्तान) में पाई जाती थी, लेकिन अब देश के अलग अलग राज्यों में जैसे की पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और ओडिशा में भी पाई जाती हैं. ये गाय एक ब्यांत में 1,500 से 3,000 लीटर तक दूध दे सकती है.
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अगर आप डेयरी फार्मिंग करना चाहते हैं तो पशुओं को बांधने वाली जगह के बारे में सही जानकारी होनी चाहिए. पशुओं का शेड ऐसी जगह पर बनाएं जहां बांधने के अलावा उनके चरने और घूमने के लिए भी खाली जगह होनी चाहिए. पशुओं के शेड में किसी भी तरह का गंदा पानी या मल-मूत्र जमा नहीं होना चाहिए. उनके शेड की नियमित सफाई करें और सूखा रखें. पशुओं को बांधने वाले स्थान में हवा और प्रकाश बना रहना चाहिए. हवा और प्रकाश के लिए शेड में कम से कम दो तरफ खिड़की होनी चाहिए. साथ ही बिजली की फिटिंग भी आवश्यक है. ध्यान रहे शेड के आसपास हमेशा साफ और ताजे पानी की व्यवस्था होनी चाहिए.
डेयरी खोलने के लिए अच्छी नस्ल के पशु और शेड का निर्माण करने के बाद उनके खान-पान का खास ध्यान रखना जरूरी होता है. दुधारू पशुओं को खाने के कई विकल्प देने चाहिए. जैसे हरे चारे के अलावा सूखा चारा, गेहूं का भूसा, साथ ही मक्का, जौ, ज्वार और बाजरा जैसे अनाजों को चूनी के रूप में देना चाहिए. पशुओं को खाने में सरसों या मूंगफली की खली देना भी काफी अच्छा है. इससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता और दूध देने की क्षमता भी बढ़ती है.
अधिकांश डेयरी फार्मर्स गायों का दूध निकाल कर उन्हें बाजार या दुग्ध समितियों में बेंच देते हैं. इससे उन्हें अधिक लाभ नहीं मिल पाता है. डेयरी से अधिक लाभ के लिए दूध के अलावा दूध को प्रोसेस करके पनीर, खोवा, छेना, दही, लस्सी और छाछ जैसे डेयरी प्रोडक्ट बनाकर बेचते हैं तो अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
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