पाकिस्तार बॉर्डर से लगे जैसलमैर में बीते करीब डेढ़ से दो महीने के दरम्यान एक-एक कर करीब 300 भेड़ों की मौत हो चुकी है. पहले भेड़ों को दस्त होते हैं. फिर एक दम से दस्त बंद हो जाते हैं. लेकिन उसके दो ही दिन बाद अचानक से भेड़ में जरूरत से ज्यादा कमजोरी आ जाती है. वो ठीक से चल भी नहीं पाती है. चलने की कोशिश करती है तो लड़खड़ा कर गिर जाती है. फिर से उसे एक-दो दस्त आते हैं. लेकिन इस बार दस्त के साथ थोड़ा सा खून भी आने लगता है. इसके बाद उस भेड़ की मौत हो जाती है. और यह सब होता है भेड़ों की आंत में अचानक से पनप उठे एक बैक्टीरिया के कारण. दो साल पहले भी इसी बैक्टीरिया के चलते भेड़ों की मौत हुई थी.
बॉर्डर से लगे जैसलमेर के जिन 5 गांवों में भेड़ों की मौत हो रही है, वहां से करीब 10 किमी की दूरी पर भेड़ों के टीकाकरण के लिए एक सेंटर बनाया गया है. लेकिन कई महीनों से वो बंद पड़ा है. वजह है वहां तैनात कर्मचारी का ट्रांसफर हो चुका है. दूसरा सेंटर गांवों से 50 किमी की दूरी पर है. भेड़ों की आंत में पनपे इस कीड़े का एक मात्र इलाज वैक्सीनेशन है. और भेड़ पालकों की मजबूरी यह है कि वो 50 किमी तक भेड़ों को लेकर नहीं जा सकते हैं.
सेंट्रल शीप एंड वूल रिसर्च इंस्टिट्यूट अविकानगर के डायरेक्टर अरुण तोमर ने किसान तक को बताया कि राजस्थान में यह वो मौसम होता है जब खेतों में फसल कट चुकी होती है और खेत खाली पड़े होते हैं. ऐसे में भेड़ों के झुंड खेतों में चरने के लिए चले जाते हैं. वहां यह खेत में जमीन पर पड़े हुए अनाज को खाती हैं. एक तो इन्हें अनाज खाने को मिलता है दूसरे मौसम भी ऐसा है तो यह ज्यादा खा जाती हैं. ज्यादा खाने के चलते ही इनकी आंतों में एंट्रोटॉक्सिमिया नाम का बैक्टीमरिया पनपने लगता है. इसी के चलते ही भेड़ों को दस्त लगते हैं. दो साल पहले भी इसी बैक्टीरिया के चलते भेड़ों की मौत हुई थी.
जैसलमेर में तैनात डॉक्टर देवेन्द्र ने फोन पर बताया कि इस बीमारी का इलाज सिर्फ टीका है. जो भेड़ें ठीक हैं उन्हें तो हम टीका लगा सकते हैं, लेकिन बीमार को टीका नहीं लगाया जा सकता है. जहां यह घटना हो रही है वहां ज्यादातर जगह पर भेड़ों का वैक्सीनेशन किया जा चुका है.
सांवता गांव के पशु पालक सुमेर सिंह ने बताया कि सांवता के साथ ही बराबर के भोपा, दीगसर, लक्ष्मणा और छोरिया गांव की भेड़ों में भी यह बीमारी फैली हुई है. इसे हमारे यहां तरड़िया बीमारी बोलते हैं. हमारे यहां टीका सेंटर बंद पड़ा हुआ है. 50 किमी दूर वाले सेंटर पर भेड़ों को लेकर जाना मुमकिन नहीं है. बहुत सारी भेड़ों का टीकाकरण होना बाकी है.
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