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Animal Husbandry: सेक्स सॉर्टेड सीमेन की तैयार हो चुकी हैं 90 लाख खुराक, जानें कितनी बछियां हुईं पैदा

Animal Husbandry: सेक्स सॉर्टेड सीमेन की तैयार हो चुकी हैं 90 लाख खुराक, जानें कितनी बछियां हुईं पैदा

आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (एआई) अभियान के तहत सेक्स सॉर्टेड सीमेन का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो सेक्स सॉर्टड सीमेन तकनीक के इस्तेमाल से 90 फीसद बछिया पैदा होती है. इस तकनीक से मादा पशुओं की संख्या और दूध उत्पादन के आंकड़े बढ़ रहे हैं. 

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गायों का प्रतिकात्मक फोटो. फोटो क्रेडिट-किसान तक गायों का प्रतिकात्मक फोटो. फोटो क्रेडिट-किसान तक

भारत कुल दूध उत्पादन में पहले नंबर पर है. एनीमल एक्सपर्ट का कहना है कि देश में सभी तरह के पशुओं की संख्या ज्यादा है इसलिए साल 2022-23 में 231 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ था. लेकिन पशुपालन में ज्यादा से ज्यादा लोग आएं. जो पहले से पशुपालन कर रहे हैं वो इसे और बढ़ाएं, इसी को देखते हुए साल 2019-20 में सेक्स सॉर्टड सीमेन तकनीक की देश में शुरुआत की गई थी. मकसद था कि गाय-भैंस के बीच जितनी ज्यादा बछिया होंगी उतना ही दूध उत्पादन बढ़ेगा. 

साथ ही इस तकनीक की मदद से गाय-भैंस और दूसरे पशुओं की कम होती नस्लों को भी बढ़ाया जा सकेगा. इसी के चलते 2019 में उत्तराखंड के ऋषिकेश में एक सेक्स सॉर्टेड सीमेन लैब की स्थापना की गई थी. यहां गायों की नस्ल में होल्सटीन, जर्सी, साहीवाल, रेड सिंधी, गिर, क्रॉस बेड और भैंसों में मुर्रा और मेहसाना नस्ल के सीमेन पर काम होने लगा. इसके बाद इसकी कामयाबी को देखते हुए भोपाल, मध्य प्रदेश में 2021 में एक और लैब की शुरुआत की गई. 

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सेक्स सॉर्टेड सीमेन से चार साल में पैदा हुईं 72 लाख बछिया

पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2019-20 से अब तक सेक्स सॉर्टेड सीमेन की 89 लाख डोज तैयार की गई हैं. राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत ये अभियान चल रहा है. मंत्रालय का दावा है कि सेक्स सॉर्टेड सीमेन की डोज की कामयाबी की बात करें तो ये 90 फीसद है. इस हिसाब से चार साल में अब तक करीब 72 लाख बछिया पैदा हो चुकी हैं. इसकी एक डोज की कीमत 12 सौ से 14 सौ रुपये है. साथ ही सरकार की ओर से इस पर 50 फीसद की सब्सिडी दी जाती है या फिर गर्भधारण सुनिचिश्त होने पर 750 रुपये दिए जाते हैं. 

जानें क्या कहते हैं आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन के आंकड़े 

साल 2019-20 से डेयरी और पशुपालन मंत्रालय ने आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (एआई) अभियान शुरू किया था. एआई के तहत पशुओं को कृत्रिम रूप से गाभिन किया जाता है. अभियान का मकसद देसी पशुओं की नस्ल में सुधार और दूध उत्पादन बढ़ाना है. तीन साल में इस अभियान के तहत करीब चार करोड़ पशुओं को एआई तकनीक से गाभिन किया जा चुका है. वहीं जुलाई 2023 में यह आंकड़ा पांच करोड़ तक पहुंच चुका है. अभियान की कामयाबी और उसकी जरूरत को देखते हुए सरकार ने इसे तीन साल के लिए और हरी झंडी दे दी है. अब यह अभियान 2025-26 तक चलेगा. 

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डेयरी और पशुपालन मंत्रालय की एक रिपोर्ट की मानें तो एआई तकनीक से गाभिन होने वाले पशुओं का आंकड़ा साल दर साल बढ़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019-20 में 76.68 लाख पशुओं को एआई तकनीक से गाभिन किया गया था. वहीं 2020-21 एक करोड़, 25 लाख, 2021-22 में एक करोड़, 80 लाख पशुओं को गाभिन किया जा चुका है. सरकार एआई अभियान का दूसरा फेज 2025-26 तक चलाएगी जिसकी शुरुआत 2022-23 से हो चुकी है. पहला फेज तीन साल का चलाने के बाद अब दूसरा फेज भी तीन साल का ही चलाया जाएगा.