कोबला गांव में भैंसों में रेबीज फैलने से किसानों में दहशतइंसानों के बाद अब भैंसें भी कुत्तों से परेशान नज़र आ रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों से कहा है कि वे सरकारी और निजी अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों और रेलवे स्टेशनों जैसे सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों को हटाएं ताकि लोगों में फैली दहशत को कम किया जा सके. ऐसे में गुजरात के बरूच से एक अजीबोगरीब घटना सामने आई है, जिसने पूरे गांव में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है.
आमोद तालुका के कोबला गांव में एक अनोखी और चिंताजनक घटना सामने आई है. गांव के पशुपालक जयेंद्रसिंह प्रवीणसिंह राज की भैंस को कुछ समय पहले एक पागल कुत्ते ने काट लिया था. काफी समय बाद उस भैंस में रेबीज़ (Rabies) के लक्षण दिखाई देने लगे. यह देखकर भैंस मालिक और गांव वाले बहुत परेशान हो गए. इस दौरान वह भैंस गर्भवती थी और उसने एक बछड़े को जन्म दिया. भैंस का दूध देखकर गांव के लोग निश्चिंत हो गए और कई लोगों ने कच्चे दूध से दही बनाकर खाना शुरू कर दिया. किसी को अंदाजा नहीं था कि यह दूध स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
दुर्भाग्य से, तीन दिन बाद भैंस की मौत हो गई. पशु चिकित्सक ने जांच के बाद पुष्टि की कि भैंस को रेबीज़ था. इसके बाद गांव में डर और चिंता का माहौल फैल गया, क्योंकि कई लोगों ने भैंस का कच्चा दूध पिया था.
भैंस के मालिक जयेंद्रसिंह राज और उनके परिवार को तुरंत रेबीज़ रोधी टीका लगाया गया. उन्होंने अपने दूध के ग्राहकों और गांव के अन्य लोगों को भी सावधान किया. डॉ मानसी, मेडिकल ऑफिसर, आमोद CHC की सलाह पर 38 ग्रामीणों को अब तक रेबीज़ का टीका लगाया जा चुका है, और और भी लोग टीका लगवाने स्वास्थ्य केंद्र पहुंच रहे हैं.
आमोद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की डॉक्टर डॉ. मानसी ने बताया कि भैंस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुणे भेजी जाएगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि भैंस की मौत का असली कारण क्या था. उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि कभी भी कच्चा दूध न पिएं, खासकर तब जब पशु में कोई बीमारी या असामान्य व्यवहार दिखे.
कोबला गांव की यह घटना सभी किसानों और पशुपालकों के लिए एक सीख है. रेबीज़ जैसी बीमारी केवल जानवरों के लिए नहीं, बल्कि इंसानों के लिए भी जानलेवा हो सकती है. इसलिए पशु स्वास्थ्य पर ध्यान देना, टीकाकरण कराना और स्वच्छता बनाए रखना बहुत जरूरी है. (विक्की जोशी का इनपुट)
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