देश में किसान बड़े स्तर पर मुर्गी और बत्तख का पालन कर रहे हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है. यही वजह है कि मुर्गी और बत्तख पालन अब धीरे-धीरे बिजनेस का रूप ले रहा है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि मुर्गी और पत्तख पालन से भी ज्यादा इनकम तीतर पालन में है. क्योंकि इसका मांस- अंडा मुर्गी और बत्तखों के मुकाबले ज्यादा महंगा बिकता है. खास कर सर्दी के मौसम में तीतर के मांस की मांग बढ़ जाती है. ऐसे में उस समय इसका रेट और अधिक हो जाता है.
खास बात यह है कि तीतर पालन के लिए आपको लाइसेंस लेना पड़ेगा. इसके बाद अपने घर पर तीतर का पालन शुरू कर सकते हैं. अभी बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड सहित कई राज्यों में किसान बड़े स्तर पर तीतर का पालन कर रहे हैं. आपको तीतर पालन का बिजने शुरू करने के लिए बहुत अधिक रुपये खर्च नहीं करने पड़ेंगे. आप कुछ हजार रुपये खर्च कर के तीतर पालन का कारोबार शुरू कर सकते हैं. पालन शुरू करने के कुछ दिनों के बाद ही कमाई शुरू हो जाएगी.
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तीतर का आकार मुर्गी और बत्तखों के मुकाबले छोटा होता है. इसलिए ये आहार भी उनके मुकाबले कम खाते हैं. ऐसे में किसानों को तीतर के आहार पर कम खर्च करने पड़ेंगे. बड़ी बात यह है कि आप 10 तीतर के साथ भी इसका पालन शुरू कर सकते हैं. ऐसे तीतर जन्म के 45 दिन के बाद से ही अंडे देना शुरू कर देती है. एक तीतर एक साल में 300 तक अंडे दे सकती है. खास बात यह है कि तीतर का अंडा भी मुर्गियों के मुकाबले महंगा बिकता है. ऐसे में आप अंडे बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
ऐसे तीतर का वजन जन्म के एक महीने बाद ही 180 से 200 ग्राम का हो जाता है. सर्दियों के मौसम में इसके मांस की बहुत अधिक मांग रहती है. लोग तीतर के मांस खरीदने के लिए मोटी रकन खर्च करने को तैयार रहते हैं. कहा जाता है कि सर्दियों में तीतर का मांस खाने से शरीर गर्म रहता है. क्योंकि इसके मांस में वासा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और मिनिरल भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. वहीं, प्रति ग्राम जर्दी में 15 से 23 मिली ग्राम कोलेस्ट्राल होता है. अगर आप नियमित तीतर खाते हैं, तो आपको ठंड लगने की संभावना कम रहेगी. वहीं, तीतर को गांवों में बटेर के नाम से भी जाना जाता है. अगर आप चाहें, तो तीतर पालन से साल में अच्छी कमाई कर सकते हैं.
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पहले भारत में तीतर पालन की अनुमति नहीं थी. ऐसे में लोग खाने के लिए इसका शिकार करते थे. इसके चलते तीतरों की संख्या धीरे-धीरे कम होती चली गई. ऐसे में सरकार ने तीतरों के शिकार पर पाबंदी लगा दी. अगर आप इसका पालन शुरू करना चाहते हैं, तो लाइसेंस लेना पड़ेगा. धीरे-धीरे ग्रामीण इलाकों में तीतर का पालन तेजी से बढ़ रहा है.
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