होलस्टीन फ्रीजियन यानी एचएफी गायों को सबसे ज्यादा दूध देने वाली नस्लों में गिना जाता है. भारत में इन्हें आमतौर पर लोग जर्सी गाय कहते दिख जाते हैं. बीते साल फरवरी में हरियाणा में हरियाणा डेयरी एंड एग्री एक्सपो में कुरुक्षेत्र के दो किसान भाई अपनी एचएफ नस्ल की गाय लेकर पहुंचे थे, जिसने 24 घंटे में 72 लीटर से ज्यादा दूध देकर रिकॉर्ड बना दिया था. हालांकि, एचएफ गायें रोजाना औसत 25 लीटर दूध देती हैं. इस नस्ल की गायों की दूध मात्रा रिकॉर्ड करने के लिए पंजाब सरकार पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है, ताकि इकट्ठा होने वाले डाटा का इस्तेमाल डेयरी फार्मिंग को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने में किया जा सके. इसके साथ ही एचएफ बछड़ों की खरीद-बिक्री भी बढ़ाई जा सके.
पशुपालकों की कमाई बढ़ाने के लिए पंजाब सरकार ने 13 हजार से ज्यादा होलस्टीन फ्रीजियन यानी एचएफ गायों की दूध मात्रा को रिकॉर्ड करने जा रही है. इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट की शुरूआत होगा, जो दिसंबर से प्रभावी हो जाएगा. एजेंसी के अनुसार पंजाब सरकार राज्य में डेयरी फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए मोगा, लुधियाना और फतेहगढ़ साहिब जिलों में होलस्टीन फ्रीजियन यानी एचएफ गायों की दूध उत्पादन क्षमता रिकॉर्ड करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने जा रही है. इस प्रोजेक्ट के लिए पशुपालकों के नामांकन कराए गए हैं.
अधिकारियों ने बताया कि दिसंबर 2024 के पहले सप्ताह में शुरू होने वाली इस परियोजना का उद्देश्य तीनों जिलों के 90 गांवों में लगभग 13,000 एचएफ गायों की दूध उत्पादन क्षमता की पहचान करना और उसे रिकॉर्ड करना है. अकेले मोगा जिले में 30 गांवों की लगभग 2,600 एचएफ गायों को इस परियोजना के तहत कवर किया जाएगा.
मोगा के डिप्टी कमिश्नर विशेष सारंगल ने कहा कि इस प्रोजेक्ट से न केवल किसानों को अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि पंजाब में एचएफ गायों की आनुवंशिक क्षमता और दूध उत्पादन क्षमता पर मूल्यवान डेटा भी मिलेगा. इस प्रोजेक्ट में चयनित एचएफ गायों के दूध उत्पादन को रिकॉर्ड करने के लिए जीपीएस सपोर्टेड स्मार्ट तराजू (GPS-enabled smart weighing scales) का इस्तेमाल होगा.
उन्होंने बताया कि डेटा को राष्ट्रीय डेटाबेस में अपलोड किया जाएगा, जिससे यह देशभर के किसानों, सरकारी एजेंसियों और अन्य स्टेकहोल्डर्स के लिए सुलभ हो जाएगा. राज्य सरकार चयनित एचएफ गायों से पैदा हुए एचएफ बछड़ों को खरीदने में किसानों को सहायता भी प्रदान करेगी, जिससे इन पशुओं की कीमत बढ़ाने और राज्य में डेयरी फार्मिंग को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.
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