कंपनी भारत के बाद अब अफ्रीकी देशों में कारोबार बढ़ा रही है और वहां बायोगैस प्लांट लगाए जाएंगे. डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि जिस तरह से डेयरी प्लांट में काम होता है उस लिहाज से उसे 24 घंटे बिजली की जरूरत होती है. सैकड़ों टन के हिसाब से मक्खन भी स्टोर किया जाता है. साथ ही प्रोसेसिंग के लिए बड़े-बड़े बॉयलर को गर्म रखना होता है. लेकिन अच्छी बात ये है कि अब बिजली डेयरी प्लांट के लिए कोई समस्या नहीं रही है. और इस परेशानी को दूर करने में अहम भूमिका निभाई है नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) ने. अब नए डेयरी प्लांट बायोगैस और सौर ऊर्जा तकनीक के साथ खुल रहे हैं.
ये पहला मौका होगा जब देश में सौर ऊर्जा से चलने वाला पहला डेयरी प्लांट खुलने जा रहा है. इस प्लांट में 90 फीसद काम सौर ऊर्जा से मिलने वाली बिजली से होगा. ये प्लांट केरल सहकारी दूध विपणन महासंघ (मिल्मा) तैयार कर रही है. सौर ऊर्जा वाला ये नया प्लांट एर्नाकुलम में चालू होने को तैयार है. वहीं बरौनी, बिहार में बन रहा नया प्लांट पूरी तरह से बायोगैस पर आधारित होगा. इसमे एनडीडीबी संग ओनसीजी भी मदद कर रही है.
बिहार का बरौनी डेयरी प्लांट देश में एक मॉडल प्लांट के रूप में बनने जा रहा है. ये प्लांट डेयरी सेक्टर के लिए एक नजीर होगा. देश का ये पहला ऐसा डेयरी प्लांट होगा जो बिजली पर आधारित नहीं होगा. और ये सब मुमकिन हो रहा है एनडीडीबी की मदद से. इसमे गैस कंपनी ओएनजीसी भी मदद कर रही है. एनडीडीबी का दावा है कि बरौनी डेयरी प्लांट पूरी तरह बायोगैस से चलने वाला प्लांट बन रहा है. पहले फेज में बायोगैस से तैयार स्टीम प्लांट के एक खास हिस्से को सप्लाई की जाएगी.
जल्द ही प्लांट में ये सिस्टम काम करने लगेगा. प्लांट में हर रोज 100 मीट्रिक टन बायोगैस तैयार होगी. गौरतलब रहे डेयरी प्रोडक्ट की लागत कम करने के लिए ही सौर ऊर्जा और बायोगैस पर काम हो रहा है. डेयरी एक्सपर्ट का मानना है कि जब तक डेयरी प्रोडक्ट को किफायती नहीं बनाएंगे तो घरेलू और एक्सपोर्ट बाजार में प्रोडक्ट की डिमांड नहीं बढ़ेगी. इसीलिए बिजली की खपत कम और खत्म करने के लिए डेयरी प्लांट में सौर ऊर्जा और बायोगैस का इस्तेमाल बढ़ाया जा रहा है.
वाराणसी में अमूल और बनास डेयरी के सहयोग से एक मिल्क प्लांट शुरू हो चुका है. फरवरी 2024 को पीएम नरेन्द्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था. इस प्लांट को हर रोज करीब 10 लाख लीटर दूध की जरूरत पड़ेगी. ये पूरी तरह से हाईटेक है. इस प्लांट की क्षमता 10 लाख लीटर प्रति दिन दूध प्रोसेसिंग की है. यहां गोबर से बनी बायोगैस भी इस्तेमाल की जाती है. जल्द ही एनडीडीबी वाराणसी में मिल्क प्लांट शुरु करने जा रही है. खुद बोर्ड के चेयरमैन डॉ. मीनेश शाह प्लांट का भूमि पूजन कर चुके हैं. इस प्लांट की क्षमता 50 मीट्रिक टन प्रतिदिन होगी. इस प्लांट को वाराणसी दुग्ध संघ की दूसरी यूनिट के रूप में शुरू किया जा रहा है.
देश में सौर ऊर्जा से चलने वाला पहला डेयरी प्लांट एर्नाकुलम, केरल में बन रहा है. डॉ. मीनेश शाह के मुताबिक प्लांट का 90 फीसद हिस्सा सौर ऊर्जा पर काम करेगा. ये प्लांट केरल सहकारी दूध विपणन महासंघ (मिल्मा) तैयार कर रही है. सोलर प्रोजेक्ट के लागू होने से प्लांट में बिजली की खपत करीब 90 फीसदी तक कम हो जाएगी. इसके लिए दो मेगावाट क्षमता वाली सौर ऊर्जा परियोजना लगाई जा रही है. इसकी लागत करीब 11.5 करोड़ रुपये आएगी. केरल में ऐसी करीब 29 यूनिट लगाई जाएंगी. भारत सरकार की डेयरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (DIDF) योजना के तहत वित्तीय मदद दी गई है. एनडीडीबी के "रिवाइटलाइजिंग प्रॉमिसिंग प्रोड्यूसर्स ओन्ड इंस्टीट्यूशन" प्लान के तहत इसे चुना गया था.
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