सूअर एक ऐसा पशु है जिसकी ओर लोग सबसे कम आकर्षित होते हैं. पशुपालक इसे गंदा और रोग फैलाने वाला मानते हैं. हालांकि, सूअर पालन अन्य पशुओं की तुलना में अधिक लाभ का सौदा है. दरअसल, सभी पशुओं में सूअर सबसे ज्यादा आय देने के लिए जाने जाते हैं. उन्हें उचित देखभाल और कम रखरखाव के साथ भी पारंपरिक तरीके से पाला जा सकता है. इससे कम लागत में अधिकतम मुनाफा हो सकता है. वहीं, इनके पालन-पोषण के दौरान कुछ पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी होता है. ऐसे में आइए जानते हैं इन 8 पॉइंट्स में कि सूअर पालन के क्या फायदे हैं.
1. सूअर पालन का सबसे अधिक फायदा ये है कि जन्म के बाद 10 से 12 महीनों के भीतर ही वे परिपक्व हो जाते हैं और मादा सूअर प्रजनन के लिए तैयार हो जाती है.
2. एक मादा सूअर एक बार में 10 से 16 शवकों यानी बच्चों को जन्म देती है. इनमें से दो से चार की अलग-अलग कारणों से मृत्यु हो जाती है. इसके बावजूद आमतौर पर 10-12 बच्चे जीवित रहते हैं.
3. इन बच्चों का दो से तीन महीनों में दूध छुड़वा दिया जाता है. अन्य पशु प्रजातियों की तुलना में, सूअरों में प्रति किलो वजन बढ़ाने के लिए कम आहार लगता है. वहीं, दूध छुड़ाने से पहले प्रतिदिन 180 से 200 ग्राम और दूध छुड़ाने के बाद प्रतिदिन 265 से 300 ग्राम की वृद्धि दर होती है.
4. ये बच्चे 8-10 महीनों में ही बिक्री योग्य हो जाते हैं. बता दें कि वयस्क सूअरों का वजन 80 से 100 किलो के बीच होता है. वहीं, एक किलो सूअर का मांस 140 से 160 रुपये तक मिलता है, इसलिए प्रत्येक सूअर को पशुपालक 12000 से 15000 रुपये में बेच सकते हैं.
5. यदि 10 बच्चे जीवित रहते हैं और उन्हें बेचने लायक माना जाता है, तो एक मादा सूअर से 1.20 लाख से डेढ़ लाख रुपये तक की कमाई की जा सकती है.
6. दिलचस्प बात यह है कि सूअरों की गर्भधारण अवधि बहुत कम होती है. खासतौर पर 112 से 114 दिन, जिससे मादा सूअर एक साल में दो बार बच्चा पैदा कर सकती है. ऐसे में पशुपालकों के लिए डबल मुनाफा है.
7. अगर आप सूअर पालन करना चाहते हैं, तो 16 से 18 मादा सूअरों के साथ तीन से चार नर सूअरों को पालना करें.
8. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सूअर के खान-पान में अधिक पैसा नहीं खर्च करना होता है. उन्हें खराब होने वाले खाना जैसे होटल का बचा हुआ खाना, फेंकी हुई सब्जी, घर का बचा हुआ खाना खिलाया जा सकता है. लेकिन, ध्यान रखें कि यह खाना बिल्कुल सड़ा हुआ और विषैला न हो.
सूअर पालन करते समय कुछ बातों का सख्ती और सावधानी से रखना चाहिए. उदाहरण के लिए सूअर के नवजात बच्चे की देखभाल, टीकाकरण, कृमि मुक्ति, उचित और पर्याप्त आहार और स्वच्छता आदि. शूकर के बच्चों का देखभाल करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि दूध की कमी न हो. उन्हें भरपूर मात्रा में दूध मिले. कुछ सूअर के शावकों में खनिज की कमी दिखाई देती है. ऐसे में कुछ खनिज मिश्रण विशेषकर कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस आदि देना चाहिए.
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