नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) सिर्फ पशुपालक ही नहीं किसानों का जीवन-यापन सुधारने पर भी काम कर रही है. एनडीडीबी की कंपनी मदर डेयरी दूध संग फल और सब्जी भी बेचती है. धारा ब्रांड भी बाजार में पहले से ही जगह बनाया हुआ है. पशुपालकों की इनकम को और बढ़ाने के लिए एनडीडीबी बायो गैस प्लांट पर भी काम कर रही है. घरेलू फ्लेक्सी बायो गैस यूनिट को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. एनडीडीबी के इन्हीं काम को देखने के लिए महाराष्ट्र सरकार के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने आनंद, गुजरात का दौरा किया.
वहां डेयरी और पशुपालन की नई-नई तकनीक देखीं. एनडीडीबी के खेती-किसानी में ऑर्गेनिक विषय पर चल रहे कामों को भी समझा. इस मौके पर उन्हें बताया गया कि कैसे एनडीडीबी की योजनाएं उनके राज्य में पशुपालकों के लिए फायदे का सौदा हो सकती हैं. वहीं फल-सब्जी की खेती करने वाले किसानों को भी एनडीडीबी से जोड़कर ऑर्गेनिक के क्षेत्र में कुछ बड़ा काम किया जा सकता है.
महाराष्ट्र में किसानों की आय बढ़ाने और ग्रामीण आजीविका में सुधार के लिए NDDB चेयरमैन डॉ. मीनेश शाह ने कृषि मंत्री संग कई प्लान पर चर्चा की. इस मौके पर डॉ. शाह ने किसानों की आय बढ़ाने में डेयरी और उससे जुड़ी कृषि गतिविधियों की क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया. किसानों को रेट अच्छे मिलें इसके लिए राज्य में खरीद तथा प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की जरूरत पर रोशनी डाली. खासतौर से फलों और सब्जियों के बारे में बात हुई. प्रोसेस्ड कृषि उपज बेचने के लिए मदर डेयरी के सफल और धारा ब्रांड का फायदा उठाने पर चर्चा हुई.
एनडीडीबी के मुताबिक ऑर्गेनिक खेती की बात करें तो महाराष्ट्र में इसकी संभावनाएं बहुत हैं. इसके चलते एनडीडीबी ने राष्ट्रीय सहकारी जैविक लिमिटेड (NCOL) के माध्यम से महाराष्ट्र के जैविक किसानों को मदद देने पर भी चर्चा की. डॉ. शाह ने इस बात पर भी खास जोर दिया कि
सहकारी संस्था एनसीओएल, महाराष्ट्र के जैविक किसानों को उनके जैविक कृषि उत्पादों के लिए प्रोत्साहन मूल्य प्रदान करते हुए परीक्षण तथा प्रमाणन प्रक्रियाओं में सहायता कर सकती है. खाद के मॉडल पर भी इस दौरान खासी चर्चा हुई. खाना पकाने के ईंधन के लिए गोबर आधारित बायोगैस और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करने, मिट्टी की उर्वरता में सुधार करने और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए जैव-घोल आधारित उर्वरकों पर बात हुई. महाराष्ट्र में संघर्षरत दूध संघों को दोबारा से खड़ा करने के लिए क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया गया. जिससे सहकारी डेयरी क्षेत्र को मजबूत किया जा सके.
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