Fish Product Export 11 साल में सीफूड प्रोडक्शन 95 लाख टन से 195 लाख टन पर पहुंच गया है. सीफूड एक्सपोर्ट को भी बढ़ाने की तैयारी चल रही है. इस वक्त सीफूड में सबसे ज्यादा झींगा एक्सपोर्ट होता है. कई देश भारतीय सीफूड के दीवाने हैं. झींगा भी खूब पसंद किया जा रहा है. लेकिन अब मछली से बने आइटम (वैल्यू एडेड प्रोडक्ट) का एक्सपोर्ट बढ़ाने की कोशिश चल रही हैं. फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो विश्व में मछली से बने आइटम का करीब 19 हजार डॉलर का कारोबार है.
अगर विश्व बाजार में भारत की हिस्सेदारी की बात करें तो 800 करोड डॉलर की है. वहीं भारतीय समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीडा) का कहना है कि साल 2030 तक हम मछली से बने आइटम का एक्सपोर्ट डबल कर लेंगे. हमारा मकसद मछली से बने प्रोडक्ट के बाजार में 20 फीसद हिस्से को हासिल करने की है. इसके लिए प्लान पर काम भी शुरू कर दिया है.
एमपीडा के चेयरमैन डीवी स्वामी का कहना है कि 2030 तक फिश वैल्यू एडेड प्रोडक्ट को दोगुना से भी ज्यादा करने के लिए हमारे पास अभी लम्बा वक्त है. इसी को ध्यान में रखते हुए एमपीडा ने प्लान तैयार किया है. इस कड़ी में सबसे पहले बुनियादी ढांचा तैयार करने, प्रोडक्ट उत्पादन की क्षमता बढ़ाने और लेबर को ट्रेनिंग देने की जरूरत महसूस की गई. लेबर को ट्रेनिंग देने का प्रोग्राम शुरू हो चुका है. वर्ल्ड फिशरीज डे के मौके पर 21 नवंबर से सात दिसम्बर तक के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू हो गया है. ट्रेनिंग के लिए एक्सपर्ट के तौर पर वियतनाम के एक्सपर्ट को बुलाया गया था. लेबर को 22 तरह के प्रोडक्ट तैयार करने की ट्रेनिंग दी गई है. ट्रेनिंग प्रोग्राम भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों पर सात स्थानों पर आयोजित किए जाएंगे.
सीफूड एक्सपोर्टर ने एमपीडा से मांग करते हुए कहा है कि मौजूदा वक्त में सीफूड तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले तमाम आइटम फीस के साथ इंपोर्ट किए जा रहे हैं. मछली से तैयार होने वाले आइटम के लिए ब्रेड क्रम्ब्स, सॉस, प्री-डस्ट और प्लास्टिक ट्रे की जरूरत होती है. इसलिए ऐसे आइटम पर से इंपोर्ट डयूटी हटाई जाए. साथ ही उनका कहना है कि वैल्यू एडेड प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए ये भी जरूरी है कि इंपोर्ट की एफओबी डयूटी में छूट को बढ़ाया जाए.
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