Rabies: जानलेवा बीमारी रेबीज को रोकने के लिए इस प्लान पर हो रहा है काम, पढ़ें डिटेल 

Rabies: जानलेवा बीमारी रेबीज को रोकने के लिए इस प्लान पर हो रहा है काम, पढ़ें डिटेल 

रेबीज को कंट्रोल करने के लिए रेबीज निगरानी, कानून और रिपोर्टिंग प्रणालियों को मजबूत करना, रेबीज फ्री स्थिति बनाए रखना और सार्वजनिक सुरक्षा तय करना जरूरी है. वहीं खासतौर पर गर्मियों के दौरान आवारा कुत्तों और बंदरों के साथ व्यवहार कैसा हो ये जानना भी बेहद जरूरी है. 

Advertisement
Rabies: जानलेवा बीमारी रेबीज को रोकने के लिए इस प्लान पर हो रहा है काम, पढ़ें डिटेल Pit Bull

कुत्ते और बंदरों के काटने की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. हाल ही में लोकसभा में एक सवाल के दौरान केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री कुत्तों, बंदरों और दूसरे पशुओं द्वारा इंसानों को काटे जाने का जो आंकड़ा बताया है वो खासा चौंकाने वाला है. लोकसभा में रखी गई रिपोर्ट के मुताबिक साल 2024 में 27 लाख मामले सामने आए हैं. लेकिन अच्छी बात ये है कि केन्द्र सरकार जानलेवा रेबीज को रोकने के लिए एक खास प्लान पर काम कर रही है. 

रेबीज को किस तरह खत्म किया जा सकता है और रेबीज को रोकने में किसकी भूमिका अहम होगी ये जिम्मेदारी भी मंत्रालय ने एक कार्यक्रम के दौरान तय कर दी है. आनलाइन मोड में हुए इस कार्यक्रम में देशभर से राज्य पशु चिकित्सा विभाग, पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों, पशु कल्याण बोर्ड और पशु कल्याण से जुड़े एनजीओ ने अपनी-अपनी बात रखी थी. 

ये भी पढ़ें- Goat Farming: बकरी पालन से पहले क्यों जरूरी है ट्रेनिंग लेना, पढ़ें एक्सपर्ट क्या बोले इस बारे में

ग्रुप वैक्सीनेशन से रेबीज पर लगेगी रोक 

मंत्रालय से जुड़े एक्सपर्ट का कहना है कि देश में कुत्तों से होने वाली रेबीज बीमारी को कंट्रोल करने के लिए सबको साथ कोशि‍श करनी होगी. इसे कंट्रोल करने के लिए सबसे पहले मौजूदा रोकथाम और कंट्रोल करने वाली तकनीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. कुत्तों का ग्रुप वैक्सीनेशन होना चाहिए. इसके लिए सबसे अहम भूमिका शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं को निभानी होगी. इसे और कारगर बनाने के लिए शहरी और स्थानीय निकायों के साथ एक कार्यशाला भी आयोजित की जानी चाहिए. 

कुत्तों की बढ़ती आबादी को करना होगा कंट्रोल 

रेबीज इंफेक्शन को कंट्रोल करने और खत्म करने के लिए ग्रुप वैक्सीनेशन के साथ ही उनकी बढ़ती आबादी को कंट्रोल करना भी बहुत जरूरी है. क्योंकि आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी रेबीज कंट्रोल के लिए एक बड़ी चुनौती है. इसलिए कुत्तों की आबादी को कंट्रोल करने के लिए शहरी स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं द्वारा राज्य पशुपालन विभाग के साथ मिलकर काम करने से ही यह मुमकिन होगा. उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का मकसद 2030 रेबीज को खत्म करना है. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पड़ोसी देशों को तकनीकी सहायता भी दी जा रही है. बच्चों और जिम्मेदार पालतू जानवरों के मालिकों के बीच जागरूकता पैदा करनी होगी. रेबीज कंट्रोल करने के लिए की गईं गतिविधियों में ग्रुप वैक्सीनेशन, नसबंदी और मजबूत जन जागरूकता अभियान शामिल हैं.

ये भी पढ़ें- Goat Farming: 100 से लेकर 500 भेड़-बकरी पालने तक पर कितनी मदद दे रही सरकार, पढ़ें‍ डिटेल

POST A COMMENT