Indian Dairy: चुनौती और मौके, दोनों साथ लेकर आ रहा है डेयरी सेक्टर, करने होंगे ये काम
आज हम दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देश हैं. भारत दुनिया के कुल दूध उत्पादन में 25 फीसद का हिस्सेदार है. लेकिन अफसोस की बात ये है कि विश्व डेयरी निर्यात में हमारी हिस्सेदारी सिर्फ 0.25 फीसद है. देश की कृषि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. लेकिन अभी भी जरूरत है कि डेयरी एक्सपोर्ट को बढ़ाया जाए.
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भारत ने एक बार फिर दूध उत्पादन में नंबर की कुर्सी को बरकरार रखा है.
मिल्क प्रोडक्ट में न सही, लेकिन दूध उत्पादन के मामले में भारत विश्व में पहली पोजिशन रखता है. लगातार दूध उत्पादन बढ़ रहा है. लेकिन डेयरी सेक्टर चुनौती और मौके दोनों साथ लेकर आ रहा है. इस बारे में इंडियन डेयरी एसोसिएशन (IDA) के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि अब सवाल ये है कि हम चुनौती और मौके को किस नजर से देखते हैं. हाल ही में डेयरी से जुड़े एक कार्यक्रम के दौरान डेयरी से जुड़ी रणनीतिक प्राथमिकताओं और सिफारिशों पर खूब चर्चा हुई.
डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट कैसे बढ़ेगा इसे लेकर भी डेयरी एक्सपर्ट ने अपने-अपने टिप्स दिए. डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि आने वाले वक्त में दूध सरप्लस हो जाएगा. ये एक परेशानी है तो दूसरी ओर मौका भी है. लेकिन इस मौके का फायदा तभी उठाया जा सकता है जब हम डेयरी प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट पर ध्यान दें. बढ़ते दूध उत्पादन के संबंध में आज केन्द्रीय राज्यमंत्री पशुपालन और डेयरी डॉ. एसपी सिंह बघेल ने आज सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी है.
10 करोड़ टन दूध अतिरिक्त होगा देश में
डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि एक अनुमान के मुताबिक आने वाले 25 साल में करीब 10 करोड़ टन दूध देश में सरप्लस होगा. जिसकी कीमत करीब चार से पांच हजार करोड़ डॉलर होगी. लेकिन ये हमारे लिए चुनौती के साथ ही मार्केट को और बढ़ाने का अच्छा मौका है. लेकिन डेयरी प्रोडक्ट की अच्छी कीमत पाने और इस मौके का फायदा उठाने के लिए जरूरी है कि हम एक्सपोर्ट को बढ़ाने वाली रणनीतियों पर काम करें. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि कुछ चीजों पर हमे अभी से काम करना होगा.
डेयरी एक्सपोर्ट बढ़ाने को करने होंगे ये 13 काम
डेयरी प्लांट के उच्च मानकों को बनाए रखना.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्रों की कमी को दूर करना.
यूरोपीय संघ और यूएसडीए से प्रमाण पत्र लेने में कुछ रुकावटें बनी हुई हैं.
प्रमाण पत्र हासिल करने की प्रक्रिया में तेजी लाने से यूरोप, उत्तरी अमेरिका और उससे आगे के प्रीमियम बाजारों तक पहुंच हो जाएगी.
डेयरी निर्यात को बढ़ाने के लिए भारत की कोल्ड चेन लॉजिस्टिक्स में बड़े बदलाव की जरूरत है.
रेफ्रिजरेटेट ट्रांसपोर्ट, कुशल सीपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम तैयार करना होगा.
सीमा शुल्क प्रक्रियाओं में निवेश से लागत कम करने और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी.
डेयरी निर्यात में सिर्फ कच्चे दूध पाउडर की निभर्रता से काम नहीं होगा.
पनीर, दही और लैक्टोज फ्री दूध जैसे वैल्यू एडेड प्रोडक्ट पर फोकस करना होगा.
भैंस के दूध से बने घी, मोजेरेला चीज इंडियन डेयरी को प्रीमियम वैश्विक ब्रांड के रूप में स्थापित कर सकते हैं.
प्रमुख डेयरी आयातक देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) टैरिफ को कम कर नए बाजार खोल सकते हैं.
नए बाजार के लिए मध्य पूर्व, अफ्रीका और आसियान जैसे क्षेत्रों में बहुत मौके हैं.
डेयरी के लिए ब्याज सब्सिडी, कर छूट और निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं से एक्सपोर्ट को बढ़ावा दे सकते हैं.