अक्सर देखा जाता है कि धान की कटाई के बाद किसान धान की पराली को खेत में ही जला देते हैं. खेतों में धान की पराली जलाने से न केवल वायु प्रदूषण होता है बल्कि पर्यावरण का तापमान भी बढ़ता है. धान की पराली को खेत में जलाने से बेहतर है कि इसका इस्तेमाल पशुओं को खिलाने के लिए किया जा सकता है. इससे वायु प्रदूषण नहीं होगा और दूसरा, भारत को हरे चारे और सूखे चारे की कमी की समस्या से कुछ राहत मिलेगी. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस समय हमारे देश में सूखे चारे की 23.4 प्रतिशत कमी है, हरे चारे की 11.24 प्रतिशत कमी है और रातिब मिश्रण की 28.9 प्रतिशत कमी है. चारे और अनाज की कमी से जूझ रहे देश में धान की पराली को जलाकर नष्ट करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है. ऐसे में पशुओं को पुआल की कुट्टी खिलाने से ना केवल चारे की कमी को पूरा किया जा सकता है बल्कि पशुओं का दूध भी बढ़ाया जा सकता है. वो कैसे आइए जानते हैं.
धान के पुआल में पोषक तत्वों की मात्रा पर नजर डालें तो इसमें पोषक तत्व नाममात्र के ही होते हैं. धान के भूसे में शुष्क पदार्थ की मात्रा 90 प्रतिशत और नमी 10 प्रतिशत होती है. धान के भूसे में कच्चा प्रोटीन केवल 3 प्रतिशत होता है जबकि इसमें फाइबर की मात्रा 30 प्रतिशत होती है. धान के भूसे में 17 प्रतिशत तक सिलिका भी पाया जाता है. इसमें आधा प्रतिशत कैल्शियम और 0.1 प्रतिशत फॉस्फोरस भी होता है. धान के भूसे की पाचनशक्ति 30 से 50 प्रतिशत ही होती है.
यदि पशु को केवल धान के भूसे पर निर्भर रखा जायेगा तो उसकी पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना संभव नहीं है. आजकल गौशालाओं में भी बेसहारा पशुओं का पालन-पोषण धान की पराली के आधार पर किया जा रहा है. धान का भूसा उनका पेट तो भर सकता है लेकिन उन्हें जरूरी पोषण नहीं दे सकता. भले ही पशु दूध न दे रहा हो, ऐसी स्थिति में केवल धान के भूसे से उसकी दैनिक पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना संभव नहीं है.
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धान के भूसे की पौष्टिकता और पाचनशक्ति बढ़ाने के साथ फ्यूजेरियम कवक से छुटकारा पाने के लिए धान के भूसे को यूरिया (अमोनिया) उपचार के बाद ही खिलाना चाहिए. धान की पुआल को यूरिया से उपचारित करने के लिए प्रत्येक 100 किलोग्राम धान की पुआल के लिए 33 लीटर पानी और 4 किलोग्राम यूरिया उर्वरक की आवश्यकता होगी.
उपचार के लिए 33 लीटर पानी में 4 किलोग्राम यूरिया का घोल बनाकर धान की पराली पर छिड़कें तथा पराली को पैरों से दबाकर बीच में मौजूद हवा को हटा दें. साथ ही उपचारित धान की पराली को पॉलिथीन से ढककर 21 दिन के लिए रख दें. इन 21 दिनों के दौरान यूरिया खाद अमोनिया में परिवर्तित हो जाएगी जो धान की पराली को उपचारित कर उसका पोषण बढ़ाने के साथ-साथ उसकी पाचनशक्ति को भी बढ़ाएगी तथा फंगस के बीजाणुओं को भी नष्ट कर देगी. इससे ना सिर्फ पशुओं को पेट भरा जा सकेगा बल्कि पशुओं को जरूरी पोषक तत्व भी मिलेगा. इससे पशुओं का दूध उत्पादन बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.
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