भारत और ब्रिटेन के बीच हुए एफटीए करार में कई कृषि उत्पादों पर टैरिफ में छूट की घोषणा की गई है. इन उत्पादों में चाय, मसाले, खाने के सामान और समुद्री प्रोडक्ट शामिल हैं. इससे भारत के निर्यातकों को फायदा होने के साथ ही किसान को भी लाभ होगा. स्थानीय उद्योगों और किसानों में इस बात को लेकर खुशी है कि एफटीए करार से डेयरी सेक्टर को बाहर रखा गया है. यानी डेयरी प्रोडक्ट पर टैरिफ की मार नहीं पड़ेगी.
भारत का डेयरी सेक्टर दुनिया में सबसे बड़ा है जो दूध के वैश्विक उत्पादन का 25 फीसदी प्रोडक्शन देता है. इतनी बड़ी उत्पादन क्षमता के बावजूद भारत के इस सेक्टर को दुनिया के सभी एफटीए ड्यूटी से बाहर रखा गया है. ऐसा इसलिए है क्योंकि दूध और दूध के प्रोडक्ट की जरूरत हर किसी को होती है. अगर इसे भी बिजनेस और व्यापार के नजरिये से देखने लगें तो मुनाफाखोरी और कालाबाजारी का खतरा बढ़ेगा. डेयरी सेक्टर को एफटीए से इसलिए भी दूर रखा गया है क्योंकि इस पर छोटे किसानों की सबसे अधिक निर्भरता होती है.
ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे किसान और पशुपालक पशुओं को पालकर अपने परिवार का खर्च चलाते हैं. पशुपालन का धंधा उनके लिए बेहद सुविधाजनक होता है क्योंकि कम खर्च में वे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. अगर डेयरी प्रोडक्ट को एफटीए में लाया जाए तो दूध के प्रोडक्ट की महंगाई बढ़ सकती है, डिमांड और सप्लाई का समीकरण गड़बड़ हो सकता है जिससे डेयरी प्रोडक्ट की मांग प्रभावित होगी. इससे सबसे बड़ा नुकसान देश-दुनिया के छोटे किसानों को होगा.
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इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष आरएस सोढ़ी कहते हैं कि बेवजह डेयरी सेक्टर को एफटीए में नहीं घसीटना चाहिए क्योंकि पिछले कुछ दशकों में इसमें अच्छी और स्थिर वृद्धि देखी जा रही है. वे कहते हैं कि डेयरी सेक्टर को केवल कारोबार के नजरिये से नहीं देखें क्योंकि डेयरी और इससे जुड़े सेक्टर से लगभग 10 करोड़ छोटे किसान जुड़े हुए हैं. यही वजह है कि छोटे किसानों के हितों की रक्षा के लिए भारत सरकार ने डेयरी, सेब और पनीर को किसी भी शुल्क रियायत से बाहर रखा है.
आज देश में आठ करोड़ से ज्यादा किसान सीधे डेयरी सेक्टर से जुड़कर रोजगार पा रहे हैं. भारत आज विश्व के दूध उत्पादन में लगभग 25 फीसद का योगदान देता है. बीते 10 साल में देश में दूध उत्पादन करीब 52 फीसद बढ़ गया है. साल 2014-15 के दौरान दूध का उत्पादन 14.6 करोड़ टन था जो साल 2023-24 में बढ़कर 24 करोड़ टन हो चुका है.
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