बंगाल, बिहार और आंध्रा प्रदेश ही नहीं दिल्ली-एनसीआर, यूपी और राजस्थाान आदि शहरों में भी मछली की खासी डिमांड है. घरों में फिश करी पसंद की जाती है तो होटल-रेस्टोरेंट में खासतौर पर फिश फ्राई. नॉर्थ इंडिया की फिश डिमांड के एक बड़े हिस्से को आध्रां प्रदेश पूरा करता है. हालांकि अब उत्तर भारत के कई राज्यों और शहरों में बड़े पैमाने पर मछली पालन हो रहा है. कई जगह पर खेती के लायक नहीं बचे बंजर खेतों में तालाब बनाकर मछली पालन किया जा रहा है. राज्य सरकारें भी मछली पालन के लिए पट्टे पर तालाब दे रही हैं.
दो बीघा पक्का खेत का तालाब खुदवाने और फिर उसकी चूने और गोबर से लिपाई कराने में करीब 50 हजार रुपये का खर्च आता है. हालांकि मजदूरी किसी शहर और राज्यो के हिसाब से कम-ज्यादा भी हो सकती है. तालाब शुरू करने के बाद से 18 महीने होने पर 1.5 से 2 किलो वजन वाली मछली निकालकर बाजार में बेचना शुरू कर सकते हैं.
मछली पालक एमडी खान का कहना है, कम से कम दो बीघा पक्के खेत में अच्छा तालाब बन जाता है. अगर मुमकिन हो तो पानी भरने से पहले तालाब को ट्रैक्टर से जुतवा दें. इसके बाद दो बीघा के तालाब में 1.5 कुंटल चूना और एक ट्रैक्टर ट्रॉली गाय-भैंस का गोबर मिलाकर तालाब की दीवारों की लिपाई करा दें. दूसरा तरीका यह भी है कि कि तालाब की खुदाई कराने के बाद उसमे पानी भर दें. फिर पानी को सूख जाने दें. जब पानी पूरी तरह से सूख जाए और तालाब में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ जाएं तो उन दरारों में चूना और गोबर का पेस्ट बनाकर भर दें. और इस तरह से मछली पालने के लिए आपका अच्छात तालाब बनकर तैयार हो जाएगा.
तालाब में मछली पालने वाले शरीफ का कहना है कि अगर आपका तालाब दो पक्के बीघा का है तो आप एक लाख ज़ीरा साइज मछली का बीज उसमे डाल सकते हैं. अगर आप फिंगर साइज बीज डाल रहे हैं तो उसकी संख्या 20 हजार होनी चाहिए. वैसे तो बीज का रेट बाजार पर निर्भर करता है. लेकिन ज़ीरा साइज बीज हैचरी में 200 से 300 रुपये किलो तक मिल जाता है. कोलकाता और कानपुर में मछली का बीज अच्छीै क्वाछलिटी का मिलता है. मछली की ग्रोथ के लिए उसे तालाब में भरपूर जगह देनी चाहिए, जिससे कि जल्द से जल्द उनका वजन बढ़ सके.
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